एन बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा (सोर्स: सोशल मीडिया)
इंफाल: मणिपुर में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है। बुधवार को 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। इनमें से 8 बीजेपी के, एक-एक एनपीपी और एक निर्दलीय हैं। उन्होंने 22 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 31 है।
निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह ने कहा कि “हमें उम्मीद है कि जल्द ही लोकप्रिय सरकार का गठन होगा। हम राज्यपाल से अपील कर रहे हैं कि हम एक लोकप्रिय सरकार चाहते हैं। हमने राज्यपाल को एक कागज भी दिया है जिस पर हम सभी ने हस्ताक्षर किए हैं। मणिपुर में सभी एनडीए विधायक एक लोकप्रिय सरकार बनाने के लिए बहुत उत्सुक हैं। हम जनता का समर्थन भी चाहते हैं। हमने जो कागज दिया है उस पर करीब 22 लोगों के हस्ताक्षर हैं। राज्यपाल से मिलने के लिए 10 विधायक यहां आए हैं।
#WATCH | Imphal, Manipur: Independent MLA Sapam Nishikanta Singh says, “We expect the formation of the popular government to happen soon. We are appealing to the Governor that we want a popular government. We have also given a paper to the Governor that all of us have signed. All… https://t.co/M1Yuwznzca pic.twitter.com/2djrOnf4OP
— ANI (@ANI) May 28, 2025
बता दें कि मणिपुर में 9 फरवरी को भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 13 फरवरी काे यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। राज्य में डेढ़ साल से अधिक समय से चल रही हिंसा को रोकने में विफल रहने के कारण बीरेन सिंह काफी दबाव में थे। मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था।
3 मई 2023 से मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच हिंसा चल रही है। विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर लगातार एनडीए पर सवाल उठाते रहे हैं। करीब 21 महीने से चल रही सांप्रदायिक हिंसा में 300 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
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60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में भाजपा के 37 विधायक हैं। इनमें से 27 मैतेई, 6 कुकी, 3 नागा और 1 मुस्लिम हैं। एनडीए के पास कुल 42 विधायक हैं। इसमें नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 5 विधायक भी शामिल हैं।
एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा था कि हिंसा और जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने एन बीरेन सिंह को उनके पद पर बनाए रखा था, लेकिन अब लोगों के बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के कारण एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।