केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: आज यानी मंगलवार 22 अक्टूबर को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं। शतरंज खेलने, क्रिकेट देखने और संगीत में गहरी रुचि रखने वाले भाजपा के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले अमित शाह ने ‘पंचायत से संसद’ तक भाजपा को सत्ता में लाने के सपने को साकार करने की दिशा में काम किया। जुलाई 2014 में भाजपा अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद उन्होंने भाजपा के विस्तार के लिए पूरे देश का दौरा किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को पूरे मन से काम करने का संदेश दिया।
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के एक संपन्न गुजराती परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम अनिलचंद्र शाह और माता का नाम कुसुमबेन शाह है। उनकी पत्नी सोनल शाह और बेटे का नाम जय शाह है। जय फिलहाल बीसीसीआई के सचिव हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले शाह स्टॉक ब्रोकर के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
अमित शाह के राजनीतिक सफर की शुरुआत की वजह उनका परिवार था, जो आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था। कॉलेज के दिनों में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य बन गए थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने खूब सफलता हासिल की। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2002 में मिली, जब उन्हें गुजरात का गृह मंत्री बनाया गया।
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अमित शाह की काबिलियत को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें 2014 में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनावों में भारी जीत हासिल की और 10 साल बाद बीजेपी सत्ता में लौटी. अमित शाह लंबे समय तक पार्टी अध्यक्ष रहे, फिर बीजेपी की कमान जेपी नड्डा को सौंपी गई. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दूसरी बार बीजेपी की सरकार बनी, तो अमित शाह को देश का गृह मंत्री बनाया गया।
दरअसल, अमित शाह को बीजेपी का चाणक्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनमें संगठन को समझने का हुनर और जमीनी स्तर पर रणनीति बनाने में महारत है। इसका परिचय उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी दिया, जब बीजेपी ने बंपर सीटें जीतकर सरकार बना। बीजेपी ने ऐसे राज्यों में भी सरकार बनाई, जहां वो लंबे समय से सत्ता में नहीं थी। शाह ने उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के अलावा पूर्वोत्तर में भी भाजपा का किला मजबूत किया है। अमित शाह ने ऐसे हालातों में भाजपा की सरकार बनवाई है, जब उनकी पार्टी की सरकार बनने के कोई आसार नहीं थे।
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चाणक्य कहे जाने पर उन्होंने कहा है कि मैंने कभी चाणक्य होने का दावा नहीं किया। मैं कभी ऐसा नहीं बन सकता। हालांकि, मैंने उनके बारे में अच्छे से पढ़ा और समझा है। मेरे कमरे में उनकी तस्वीर भी है। चाणक्य के सामने मैं बहुत छोटा आदमी हूं। शाह ने सबसे पहले 1991 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का चुनाव प्रबंधन संभाला था।
लेकिन, उनके बूथ प्रबंधन का करिश्मा 1995 के उपचुनाव में देखने को मिला, जब उन्हें साबरमती विधानसभा सीट पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नरहरि अमीन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे एडवोकेट यतिन ओझा का चुनाव प्रबंधन सौंपा गया। यतिन खुद कहते हैं कि शाह को राजनीति के अलावा कुछ और नजर नहीं आता है।