सुब्रमण्यम स्वामी (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: हिंदूवादी राजनेता, अर्थशास्त्र के विद्वान, प्रखर वक्ता और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी आज यानी रविवार 15 सितंबर को अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। सुब्रमण्यम स्वामी का नाम उन नेताओं में शुमार होता है जिन्होंने आपातकाल से लेकर राम जन्मभूमि तक देश के विभिन्न मुद्दों को उठाने में अपने जीवन का काफी समय समर्पित किया। सुब्रमण्यम स्वामी के जन्मदिन के मौक पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताने वाले हैं, जिन्हें आप शायद ही जानते हों।
उनका जन्म 15 सितंबर 1939 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। स्वामी जनहित के मामलों पर अपने रुख को लेकर बेबाकी से बोलने के लिए जाने जाते हैं। उनकी इस बेबाकी की बानगी कई मौकों पर आपने भी देखी होगी। क्योकि उन्हें अक्सर गंभीर मुद्दों पर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व पर निशाना साधते देखा जाता है।
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1981 में स्वामी के काम के कारण ही हिंदू श्रद्धालुओं को लोकप्रिय कैलाश मानसरोवर यात्रा में प्रवेश मिला और तीर्थयात्रा मार्ग फिर से खुल गया। इस मुद्दे को उस समय चीन के नेता डेंग शियाओपिंग के साथ उनकी बैठक के दौरान सुलझाया गया था। स्वामी 1990-91 के समय में योजना आयोग और केंद्रीय वाणिज्य एवं कानून मंत्री थे। यह व्यापक रूप से ज्ञात नहीं है कि उन्होंने ही चंद्रशेखर सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों का खाका तैयार किया था।
सुब्रमण्यम स्वामी को प्रखर हिंदूवादी राजनेता के तौर पर भी जाना जाता है। उन्होंने मुसलमानों को तब तक मतदान के अधिकार से वंचित करने का प्रस्ताव रखा था, जब तक कि वे “हिंदू विरासत” को मान्यता नहीं देते, हार्वर्ड कॉलेज ने स्वामी द्वारा पढ़ाए गए दो ग्रीष्मकालीन अर्थशास्त्र पाठ्यक्रमों को अपने पाठ्यक्रम से हटा दिया। स्वामी का शोधपत्र 1974 में पॉल सैमुएलसन के साथ सूचकांक संख्याओं के सिद्धांत पर आधारित प्रकाशित हुआ था, जो आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार जीतने वाले मुख्य अमेरिकी थे।
स्वामी कई वर्षों से बिना किसी की मदद के गांधी परिवार से भिड़े हुए हैं। उन्होंने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी पर धन की हेराफेरी का आरोप लगाया है। स्वामी ने कहा कि गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड से कर्ज चुकाने के लिए यंग इंडिया कंपनी नाम से एक नई कंपनी शुरू की। यह केस आज भी चल रहा है।
स्वामी को चीनी अर्थव्यवस्था और खासकर भारत और चीन के तुलनात्मक विश्लेषण के विशेषज्ञ के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने “चीन और भारत में आर्थिक विकास, 1952-70: एक तुलनात्मक मूल्यांकन” नामक पुस्तक लिखी है। सुब्रमण्यम स्वामी को हिंदी, अंग्रेजी तमिल, तेलगु के अलावा चीनी भाषा का भी अच्छा ज्ञान है जो कि उन्होंने मात्र तीन महीने में सीखी थी।
सुब्रमण्यम स्वामी आपातकाल के बाद चुनाव जीतने वाली राजनीतिक पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। विपक्ष के नेता होने के बावजूद उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। स्वामी को 1994 में पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव द्वारा श्रम मानकों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसकेस्वामी ने ‘रामसेतु’ को काटने वाली परियोजना को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था और वे इसमें सफल रहे थे।
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सुब्रमण्यम स्वामी केरल में एससीएमएस ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करते हैं। विदेश नीति पर भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है। उन्होंने भारत की विदेश नीति के बारे में लिखा है। मुख्य रूप से उन्होंने पाकिस्तान, इज़राइल और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) के साथ संबंधों के बारे में।