डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती (सोर्स: सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत की आजाद कराने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया। आजादी के बाद भी इनमें से कइयों ने भारत के निर्माण में अपना जीवन लगा दिया। ऐसे ही एक महानायक की आज जयंती हैं। जिसने न केवल आजादी में अपना योगदान दिया, बल्कि समाज के निर्माण के लिए काम किया। संविधान निर्माता कहे जाने वाले बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की आज जयंती है। उनका पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के इंदौर के पास महू छावनी में एक महार परिवार में हुआ था, जबकि उनका पैतृक गांव महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मंडनगढ़ तहसील के अंतर्गत आम्ब्रावेडे है। उनके पिता का नाम रामजी राव और दादा का नाम मालोजी सकपाल था। बाबा साहब का बचपन का नाम भीमराव एकपाल उर्फ ’भीमा’ था। उनके पिता रामजी राव सेना में थे।
पिता रामजी कबीर पंथ के बड़े अनुयायी थे, जबकि उनकी मां भीमाबाई भी धार्मिक स्वभाव की गृहिणी थीं। भीमराव अपने माता-पिता की 14 संतानों में सबसे छोटी संतान थे, जिनमें 11 लड़कियां और 3 लड़के थे। भीमराव की पिछली 13 संतानों में से केवल 4 बच्चे बलराम, आनंदराव, मंजुला और तुलासा ही जीवित बचे थे, जबकि भीमराव के बाकी भाई-बहनों की असमय मौत हो गई थी।
महज 5 साल की उम्र में 20 नवंबर 1896 को उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। इसके बाद उनकी मौसी मीरा ने चारों भाई-बहनों की देखभाल की। भीमराव बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। वे पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उनकी अद्वितीय प्रतिभा से प्रभावित होकर उनके एक प्रिय ब्राह्मण शिक्षक ने उन्हें ‘आंबेडकर’ उपनाम दिया, जो बाद में उनके मूल नाम का अभिन्न अंग बन गया।
वर्ष 1908 में जब भीमराव महज 17 साल के थे, तब उनका विवाह हो गया। उनकी शादी रमाबाई से हुई। उस समय रमाबाई की उम्र महज 14 साल थी। विवाह के बाद भी डॉ. भीमराव उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए और फिर देश लौटकर देश की सेवा में लग गए।
डॉ. भीमराव आंबेडकर व उनकी पत्नी रमा बाई (सोर्स: सोशल मीडिया)
हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के मौके पर आंबेडकर दिवस मनाया जाता है। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। वह एक विश्व स्तरीय वकील, समाज सुधारक थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश को सही दिशा में आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया था।
आंबेडकर की जयंती के मौके पर आज हम आपको बताएंगे उनसे जुड़ी 10 ऐसी बातें, जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे…
1. 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद बी.आर. आंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री बने। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न कानूनों और सुधारों का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. 29 अगस्त 1947 को डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में बनाया गया। इस समिति को नए संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदार सौंपी गई थी।
3. बाबा साहब का असल सरनेम अंबावडेकर था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में उनके पैतृक गांव ‘आम्ब्रावेडे’ के नाम से लिया गया है। हालांकि, उनके शिक्षक महादेव आंबेडकर ने स्कूल रिकॉर्ड में उनका उपनाम ‘अंबावडेकर’ से बदलकर अपना उपनाम ‘आंबेडकर’ कर लिया था, क्योंकि वह उनसे बहुत प्यार करते थे।
4. भीमराव आंबेडकर ने देश में लेबर कानून से जुड़े कई बड़े बदलाव किए थे। इसके तहत 1942 में भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में काम करने के घंटों में बदलाव में करते हुए इसे 12 से 8 घंटे कर दिया गया।
5. बाबा साहब न सिर्फ विदेश में इकोनॉमिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे, बल्कि वह इकोनॉमिक्स में पहले PHD और दक्षिण एशिया में इकोनॉमिक्स में डबल डॉक्टरेट करने वाले पहले व्यक्ति थे। वे अपने दौर के सबसे ज्यादा शिक्षित भारतीयों में से एक थे।
6. बाबा साहब आंबेडकर ने संसद में हिंदू कोड बिल के लिए बहुत जोर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य विवाह और विरासत के मामलों में महिलाओं को समान अधिकार देना था। लेकिन जब यह विधेयक सदन में पारित नहीं हो पाया तो उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
7. कोलंबिया विश्वविद्यालय में तीन साल में आंबेडकर ने इकोनॉमिक्स में 29 कोर्सेस, इतिहास में 11, सोशियोलॉजी में 6, फिलॉसिपी में 5, ह्यूमैनिटी में 4, राजनीति में 3 और प्रारंभिक फ्रेंच और जर्मन में एक-एक पाठ्यक्रम लिया था।
8. अपनी बुक थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स में बाबा साहब आंबेडकर ने ही सबसे पहले मध्य प्रदेश और बिहार को विभाजित करने का सुझाव दिया था। यह बुक उनके निधन के बाद 1995 में प्रकाशित हुई। इस बुक को लिखने के लगभग 45 बाद अंततः साल 2000 में बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ का विभाजन हुआ।
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9. डॉ. बाबा साहब आंबेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, मराठी, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, पाली, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक विश्व के सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया।
10. डॉ. भीमराव आंबेडकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भगवान बुद्ध की खुली आंखों वाली पेंटिंग बनाई थी। उससे पहले दुनिया भर में अधिकतर सभी मूर्तियों की आंखें बंद थीं।