आनंद मोहन, शहाबुद्दीन, पप्पू यादव (फोटो-सोशल मीडिया)
Bihar Politics: भारत में चुनावी मौसम में राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं में राजनेताओं के मुंह से अक्सर सुना जाता है ” लोकतंत्र में राजा रानी के कोख से नहीं, बैलेट बॉक्स से जन्म लेता है”। इस कल्ट कहावत को हर बार राजनेता अपने वंश को माननीय बनाकर झूठ साबित कर देते हैं। इस कहावत को एक बार फिर बिहार के तीन बाहुबली झूठलाने को आतुर हैं।
बाहुबलियों एंव परिवारवाद के इर्द-गिर्द बिहार की राजनीति पिछले 30 सालों से घूम रही है। इस बार भी कई नेता अपने परिजनों की बिहार विधानसभा में लॉचिंग की तैयारी में हैं। लेख में हम तीन ऐसे नेताओं का जिक्र करेंगे, जिनकी बाहुबलियों वाली छवि है और वे राजनीति में अपना वंश बढ़ाने के लिए फिल्डिंग लगभग सेट कर चुके हैं।
जेल से छूटने के बाद बाहुबली आनंद मोहन खुद तो चुनाव से दूर हैं, लेकिन उनका पूरा परिवार चुनाव में राजनीति में सक्रिय है। उनकी सहरसा व आसपास के जिलों में राजपूत वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है। इस बार वे अपने छोटे बेटे अंशुमान को JDU से चुनाव लड़वाना चाहते हैं। वह स्वयं सांसद रह चुके हैं, वर्तमान में उनकी पत्नी लवली आनंद शिवहर से सांसद हैं। 2020 में उनके बड़े बेटे चेतन आनंद राजद से विधायक बने थे, हालांकि बाद वे JDU में चले गए। जब आनंद मोहन JDU में शामिल हुए थे तो इस दौरान अंशुमान ने भी JDU की सदस्यता ली थी। अब उनके चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है।
राजद और कांग्रेस बिहार में पूरी ताकत झोंक रही हैं। इसमें पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी मेहनत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बार पप्पू बेटे सार्थक रंजन को बिहार विधानसभा का चुनाव लड़वा सकते हैं। सार्थक को पप्पू पूर्णिया की किसी विधानसभा सीट से उतार सकते हैं। सार्थक क्रिकेटर हैं, 2024 में पप्पू यादव जब कांग्रेस में शामिल हुए थे तो उस समय सार्थक रंजन ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली थी। उसी समय चर्चा थी कि पप्पू यादव के बेटा राजनीतिक पारी की शुरूआत कर सकता है। फिलहाल पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय सांसद हैं और उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं।
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बिहार के बाहुबलियों में सुमार शहाबुद्दीन का निधन कोरोना काल में हो गया था। कई वर्षों तक वे RJD का मुस्लिम चेहरा थे। उनकी पत्नी हिना शहाब ने 3 बार राजनीति में किस्मत अजमाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पिछले लोकसभा चुनाव में RJD ने हिना को टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय मैदान में कूद गईं। इसका खामियाजा RJD को भुगतना पड़ा। वहां RJD का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर खिसक गया। इसके बाद हिना शहाब ने बेटे ओसामा के साथ लालू प्रसाद यादव की शरण ले ली। अब ओसामा रघुनाथपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनका टिकट भी लगभग तय माना जा रहा है।