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RSS में थे फिर भी कांग्रेसी के लिए बनाते थे खाना, वो नेता जिसने सत्ता छोड़ बदली गांवों की दास्तान

Nanaji Deshmukh Story: RSS, जनसंघ और भाजपा से जुड़े होने के बावजूद सत्ता को छोड़कर सेवा का रास्ता चुनने वाले युगपुरुष ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने का सपना साकार किया।

  • By आकाश मसने
Updated On: Oct 11, 2025 | 06:44 AM

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के साथ नानाजी देशमुख (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Nanaji Deshmukh Birth Anniversary: आज यानी 11 अक्टूबर को एक ऐसे व्यक्तित्व की जयंती है जिसने अपने जीवन को सेवा और समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने दिखाया कि सत्ता के पदों से बड़ा धर्म है दूसरों के जीवन में बदलाव लाना। उनके आदर्श आज भी शिक्षा, ग्राम विकास और स्वावलंबन की दिशा में प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं, यह संदेश देते हुए कि मजबूत गांवों से ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव है।

हम बात कर रहे हैं भारत रत्न नानाजी देशमुख की। नानाजी देशमुख को भारतीय समाज में स्वावलंबन, शिक्षा सुधार और ग्रामीण विकास के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।

महाराष्ट्र के परभणी में हुआ जन्म

1916 में महाराष्ट्र के परभणी जिले के कडोली गांव में जन्मे चंडिकादास अमृतराव देशमुख को देश नानाजी के नाम से जानता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज और राष्ट्र निर्माण को समर्पित कर दिया।

वे किशोरावस्था में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में भी उनका नाम शामिल है। राजनीति में ऊंचे पदों तक पहुंचने के बाद भी उन्होंने सत्ता नहीं, बल्कि सेवा का मार्ग चुना।

नानाजी का संघ से नाता

नानाजी का जन्म तो महाराष्ट्र में हुआ था, लेकिन उन्होंने राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने ही उन्हें संघ से जोड़ा। उनकी श्रद्धा देखकर RSS के संघ संचालक गुरुजी यानी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने उन्हें प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश भेज दिया। संघ के प्रचारक के रूप में उन्हें यूपी में पहले आगरा और फिर गोरखपुर भेजा गया।

नानाजी देशमुख और नरेंद्र मोदी की RSS वाली तस्वीर व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ नानाजी

उन दिनों संघ की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नानाजी जिस धर्मशाला में रहते थे, वहां हर तीसरे दिन कमरा बदलना पड़ता था। अंततः एक कांग्रेसी नेता ने इस शर्त पर उनके लिए एक स्थायी कमरे की व्यवस्था की कि वे उनका खाना बना दिया करेंगे।

जयप्रकाश के लिए खाई लाठी

विनोबा भावे के भूदान यज्ञ और 1974 में इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले आंदोलन में नानाजी बहुत सक्रिय थे। जब पटना में पुलिस ने जयप्रकाश और अन्य लोगों पर लाठीचार्ज किया, तो नानाजी ने इस वार को अपनी बांह झेल लिया। इससे उसका हाथ टूट गया, लेकिन जयप्रकाश बच गए।

सत्ता छोड़ संगठन को चुना

1975 में आपातकाल के समय कई विपक्षी नेताओं को जेल हुई, लेकिन नानाजी हाथ नहीं आये। वे आपातकाल के विरोध में बनी ‘लोक संघर्ष समिति’ के मंत्री थे। 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हार के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी।

नानाजी देशमुख ने सत्ता की बजाय संगठन को महत्व दिया और अपने बदले ब्रजलाल वर्मा को मंत्री बनवाया। इसके बाद उन्हें को जनता पार्टी का महामंत्री बनाया गया। उस समय नानाजी सत्ता या दल में बड़े से बड़ा पद ले सकते थे, लेकिन उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़कर ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ के माध्यम से पहले गोंडा और फिर चित्रकूट में ग्राम विकास का कार्य शुरू किया।

नानाजी देशमुख का मानना था कि “गांव मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा।” इसी विचार के आधार पर उन्होंने राजनीति से संन्यास लेकर ग्रामीण विकास की दिशा में कदम बढ़ाया। मध्य प्रदेश के चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान (DRI) की स्थापना की।

यह भी पढ़ें:- वो नेता जिसने CM बनने की चाह में थामा ‘हाथ’, पिता ने की थी कांग्रेस की खिलाफत

यहां उन्होंने ‘एक ग्राम, एक योजना’ के सिद्धांत पर आधारित चित्रकूट मॉडल तैयार किया, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण और रोजगार जैसे पांच स्तंभों पर आधारित था। उनके प्रयासों से चित्रकूट और आसपास के गांव आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़े। यहां आज भी किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए स्थायी आजीविका के मॉडल विकसित हो चुके हैं।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान को देहदान

27 फरवरी 2010 को अपनी कर्मभूमि चित्रकूट में नानाजी ने अंतिम सांस ली। उन्होंने देहदान के लिए पहले ही एक संकल्प पत्र भर दिया था। इसलिए, उनके निधन के बाद उनका शरीर चिकित्सा विज्ञान संस्थान को दान कर दिया गया।

पद्म विभूषण और भारत रत्न से हुए सम्मानित

भारत सरकार ने नानाजी देशमुख के योगदान को मान्यता देते हुए पहले उन्हें 1999 में पद्म विभूषण दिया गया। इसके बाद 2019 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।

Bharat ratna nanaji deshmukh jayanti gram vikas and aatmanirbhar bharat model

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Published On: Oct 11, 2025 | 06:44 AM

Topics:  

  • Birth Anniversary
  • BJP
  • Maharashtra
  • RSS

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