बाबा रामदेव और पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, फोटो- सोशल मीडिया
Swami Ramdev IMA Case Update: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को आईएमए मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दायर की गई उस याचिका को खत्म कर दिया है, जिसमें एलोपैथी पर टिप्पणी और भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि इस मामले में पहले ही कई आदेश दिए जा चुके हैं और याचिका का उद्देश्य पूरा हो चुका है। बेंच ने साफ किया कि अब आगे विचार की जरूरत नहीं है और यदि भविष्य में किसी भी पक्ष को समस्या होती है, तो वे उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि बीते साल 27 फरवरी को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला शुरू हुआ था, जो अगस्त 2024 में बिना शर्त माफी मांगने के बाद खत्म कर दिया गया था।
IMA ने आरोप लगाया था कि पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों से एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। याचिका में कहा गया था कि कंपनी टीवी और प्रिंट विज्ञापनों में एलोपैथी को बदनाम कर आयुर्वेद को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई सख्त टिप्पणियां भी की थीं।
इससे इतर, जुलाई 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट ने डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ पतंजलि द्वारा प्रसारित विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने इसे प्रथम दृष्टया अपमानजनक बताया था। अदालत ने पतंजलि को निर्देश दिया था कि प्रिंट विज्ञापनों से ‘40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों’ वाली पंक्ति हटाई जाए।
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सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से बाबा रामदेव और पतंजलि को फिलहाल कानूनी राहत मिली है, लेकिन विज्ञापन और प्रचार सामग्री को लेकर अदालतों का कड़ा रुख जारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मामला आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच लंबे समय से चल रही बहस का हिस्सा है, जहां कानूनी और नैतिक दोनों तरह की सीमाओं का पालन जरूरी है।