कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
नई दिल्ली: महाकुंभ में भगदड़ के बाद ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने CM योगी को हटाने का परमधर्मादेश जारी किया। जिसके बाद से वह राइट विंग के निशाने पर आ गए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की वसीयत को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने फर्जी करार दे डाला है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी उन्हें फेक शंकराचार्य कहा जाने लगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई अविमुक्तेश्वरानंद फर्जी शंकराचार्य हैं, या फिर सही मायनों में वहीं असली हैं? तो हम इसका जवाब खोज लाए हैं।
इस सवाल का जवाब तथ्यों और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और उसके फैसले के तिथिवार विश्लेषण से इस रहस्य से पर्दा उठ जाता है कि अविमुक्तेश्वरांद असली शंकराचार्य हैं या नकली? सवाल का जवाब देने से पहले यह जान लेते हैं कि यह विवाद कहां से शुरू हुआ और इसकी जड़ में क्या है?
29 जनवरी को महाकुंभ में मौनी अमावस्या के मौके पर भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में करीब 50 लोग मारे गए। वहीं बात करें आधिकारिक आंकड़ों की तो 30 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई। इस घटना के बाद सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवालिया निशान लगे।
इसी कड़ी में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी योगी आदित्यनाथ को लेकर बड़ा बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोल रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ रहते-रहते उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। जिसके बाद शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को फर्जी करार दिया जाने लगा।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का शंकराचार्य पद पर हुआ पट्टाभिषेक गलत है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। महाकुंभ हादसा सिर्फ एक संयोग था। इसे लेकर CM के इस्तीफे का परमधर्मादेश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कैसे जारी कर सकते हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग गोविंदानंद सरस्वती का पुराना वीडियो फिर से वायरल करने लगे हैं। जिसमें वह अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर फर्जी होने के आरोप लगाए थे।
अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य फर्जी और क्रिमिनल है
इसका मामला सुप्रीम कोर्ट न्यायालय में पेंडिंग है
गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के स्वर्गवास के बाद उनके नाम का यूज करके फर्जी तरीके से गद्दी हथिया लिया है
सभी संतों ने विरोध करके उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया हे pic.twitter.com/y9yiuDApsC
— Amrendra Bahubali 🇮🇳 (@TheBahubali_IND) February 2, 2025
अब इस पूरे बवाल पर एक और वीडियो सामने आया है। जिसमें पूर्व पत्रकार और लेखक संदीप देव सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तिथिवार जिक्र कर सोशल मीडिया पर उठे रहे इस बवालिया सवाल का जवाब देते हैं। संदीप देव ने अविमुक्तेश्वरानंद पर लग रहे आरोपों को झूठ व निराधार बताया है। संदीप देव ने कहा कि 17 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 17 अक्टूबर या उसके बाद किसी भी शंकराचार्य का ज्योतिष्पीठ पर पट्टाभिषेक नहीं हो सकता है।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज असली शंकराचार्य हैं या नकली शंकराचार्य???
सुप्रीम कोर्ट के इस तिथिवार आदेश से समझिए @sdeo76 जी से। और इस वीडियो का लिंक उन सभी को शेयर कीजिये जो अफ़वाह फैला रहे हैं। pic.twitter.com/TgjySERV85
— Ashwini Yadav (@iamAshwiniyadav) February 2, 2025
संदीप देव ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नकली बाबाओं की भीड़ जो शंकराचार्य बनना चाह रहे थे उनपर लागू हुआ। क्योंकि अविमुक्तेश्वरानंद का पट्टाभिषेक 12 सितंबर 2022 और 26 सितंबर 2022 को शृंगेरी पीठ के शंकराचार भारती तीर्थ महाराज ने कर दिया था। यह आदि शंकराचार्य के महानुशासन के अनुसार और अविमुक्तेश्वरानंद के गुरु स्वरूपानंद सरस्वती की वसीयत के अनुसार किया गया था।
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आपको बता दें कि सितंबर 2022 को स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हुआ था। जिसके बाद 12 सितंबर को अविमुक्तेश्वरानंद का पट्टाभिषेक हुआ था। इस लिहाज से देखा जाए तो इनका पट्टाभिषेक पहले ही हो चुका था। जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 17 अक्टूबर को आया था।