विमानन मंत्री राममोहन नायडू, फोटो- सोशल मीडिया
Ahmedabad Plane Crash Investigation: विमानन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा है कि दुर्घटना की जांच पूरी तरह नियमों के अनुसार, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या हस्तक्षेप नहीं हो रहा है, इसलिए सभी को विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की अंतिम रिपोर्ट का धैर्यपूर्वक इंतजार करना चाहिए।
मंत्री नायडू ने यह बयान उस समय दिया है, जब एएआईबी की जांच प्रक्रिया पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा, “जांच में किसी तरह की हेराफेरी नहीं हो रही है। यह एक साफ-सुथरी और पेशेवर प्रक्रिया है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप चल रही है।”
कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में विमानन मंत्री ने बताया कि एएआईबी पूरी स्वतंत्रता के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम उन पर कोई दबाव नहीं डालना चाहते कि वे जल्दबाजी में रिपोर्ट जारी करें। जांच की प्रकृति जटिल है, इसलिए इसे पूरा करने में जो भी समय लगेगा, वह लिया जाएगा। अंतिम रिपोर्ट आने में अभी कुछ समय लगेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि चार अक्टूबर को अमृतसर से बर्मिंघम जा रही एयर इंडिया की उड़ान एआई-117 में रैंडम एल्कोहल टेस्टिंग (आरएटी) से जुड़ी घटना पर भी जांच जारी है। “जब भी कोई तकनीकी या परिचालन संबंधी घटना होती है, तो हम उसकी जड़ तक जाने की कोशिश करते हैं। असली कारण का पता चलने के बाद संबंधित सभी पक्षों निर्माता कंपनी से लेकर मेंटेनेंस यूनिट तक से बात की जाएगी।”
12 जून को अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान (AI-171) टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 241 यात्री शामिल थे। इसे भारत के सबसे भयावह विमान हादसों में गिना जा रहा है।
एएआईबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट 12 जुलाई को जारी की गई थी। इसमें बताया गया था कि टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान के दोनों इंजनों की ईंधन आपूर्ति अचानक बंद हो गई थी। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट की आवाज दर्ज है, जिसमें वह पूछता है “तुमने कटऑफ क्यों किया?”, जिस पर दूसरे पायलट ने कहा, “मैंने ऐसा कुछ नहीं किया।”
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22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट के कुछ अंशों को सार्वजनिक किए जाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी “चयनात्मक रिपोर्टिंग” जांच प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और गलत नैरेटिव पैदा करती है।