सुनीता विलियम्स को हो सकती है ये स्वास्थ्य समस्याएं (सौ. सोशल मीडिया)
Astronaut Sunita Williams: इन दिनों नासा की भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की चर्चा तेज है। वे आज 18 मार्च को अपने साथी बुच विल्मोर के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती वापसी कर रही है। बताते चलें कि, उन्हें यहां लाने के लिए विमान रविवार को सुबह आईएसएस पर पहुंचा था। अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की सफल वापसी को लेकर केवल नासा ही नहीं भारतीयों को भी इंतजार था।
यहां पर सुनीता विलियम्स की वापसी से एक ओर खुशी है तो दूसरी ओर मन में एक सवाल, कि आखिर प्रतिभावान अंतरिक्ष यात्री पहले की तरह सामान्य जिंदगी जी पाएंगी या फिर उनके सामने आएगी दर्जन भर स्वास्थ्य समस्याएं।
यहां पर नासा की ओर से जारी अनुमान के मुताबिक बताते चलें कि, नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों के फ्लोरिडा तट पर समुद्र में उतरने के अनुमानित कार्यक्रम को फ्लोरिडा समयानुसार मंगलवार शाम लगभग 5:57 बजे (19 मार्च को भारतीय समयानुसार सुबह 3:27 बजे) आगे बढ़ा दिया है। वापसी से खुशी है लेकिन अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के साथ-साथ बुच विल्मोर भी कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझेंगे।
1- बेबी फुट की स्थिति होना
आपको बताते चलें कि, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहकर्मी बुच विल्मोर को हो सकता है कि, बेबी फुट सा अनुभव हो। ऐसा हेल्थ एक्सपर्ट बताते है कि, अंतरिक्ष में यात्रियों के पैरों की तलवों की कॉलस (मोटी त्वचा) एक लंबी अवधि तक अंतरिक्ष में रहने के बाद नरम हो सकती है और छिल सकती है। इस वजह से उनके पैरों की त्वचा बच्चों की त्वचा की तरह सेंसेटिव हो सकती है। इसे लेकर नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री बताते है कि, जैसे-जैसे अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते हैं, पैरों पर मौजूद कॉलस गायब होने लगते हैं। चियाओ ने कहा, ”आप मूलतः अपनी त्वचा का मोटा हिस्सा खो देते हैं।” कई मामलों में चलने में भी दिक्कत हो सकती है।
2- कम हो सकती है आंखों की रोशनी
अंतरिक्ष यात्रियों को स्वास्थ्य समस्याओं में सबसे नाजुक अंग यानि आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को आंखों में गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है हो सकता है कि, दोनों ‘स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम’ (SANS) नामक विकार से पीड़ित हो सकते हैं। जिस स्थिति में ऐसा होता है कि, मस्तिष्क में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जो विजन लॉस (दृष्टि हानि) और सेरेब्रल एडिमा (मस्तिष्क की सूजन) का कारण बन सकती है। सिर में तरल पदार्थ के जमा होने से आईबॉल्स के आकार में भी बदलाव आ सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
सुनीता विलियम्स की वापसी
3- चलने और बैलेंस बनाने में दिक्कत
अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों को भी नुकसान पहुंचा है इसलिए उन्हें खड़े होने, चलने या किसी स्थान पर बैलेंस बनाने के दौरान दिक्कतें आएगी। इसे लेकर बेंगलुरु के कावेरी हॉस्पिटल में इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के निदेशक डॉ. रघु नागराज ने अपनी जानकारी में बताया कि, “माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियां, विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से, पैर और कोर में मास और शक्ति खो देती हैं क्योंकि उनका उपयोग शरीर के वजन को सहारा देने के लिए नहीं किया जा रहा होता है। इसी तरह हड्डियों, विशेष रूप से रीढ़, कूल्हों और पैरों में मिनरल की कमी होती है, जिससे फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है।
पृथ्वी पर वापस लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है, क्योंकि उनकी मस्कुलोस्केलेटल प्रणालियां गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप रीएडजस्ट (फिर से समायोजित) हो रही होती हैं।”
4-वेटलैस टंग का अनुभव
दोनों अंतरिक्ष यात्रियों विलियम्स और विल्मोर को भी ‘वेटलैस टंग’ नामक समस्या भी हो सकती है जो बेहद चुनौती पूर्ण है। इस वेटलैस की स्थिति में पीड़ित को लगता है कि, उनकी जीभ भारहीन है, जिससे उन्हें बोलने में परेशानी हो सकती है। इसे लेकर पूर्व अंतरिक्ष यात्री बताते है कि, “लैंडिंग के तुरंत बाद, मैं अपने होठों और जीभ का वजन महसूस कर सकता था और मुझे अपनी बातचीत का तरीका बदलना पड़ा। मुझे एहसास ही नहीं हुआ था कि मैंने बिना वजन वाली जीभ से बात करना सीख लिया है।” वहीं पर खाने के दौरान स्वाद लेने में दिक्कत क्यों टेस्ट बड्स पर असर पड़ता है।
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यहां पर दोनों अंतरिक्ष यात्रियों के दिल को भी खतरे का अनुभव हो सकता है इसे लेकर साइंस खुलासा कर चुका है। इसमें माइक्रोग्रैविटी की वजह से मानव का दिल अपने आकार अंडाकार (पानी से भरे गुब्बारे की तरह) से बदलकर गोल गेंद (हवा से भरा गुब्बारा) में बदल लेता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अंतरिक्ष में दिल, सामान्य तरीके से मेहनत नहीं करता है इसलिए इसकी मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है।