धू-धू कर जलता हुआ KAAC चीफ का घर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Assam Protest News: पूर्वोत्तर भारत के असम के दीफू में सोमवार को कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) के प्रमुख तुलीराम रोंगहांग के आवास को आग के हवाले कर दिया। इस घटना के दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों के साथ पर सुरक्षा बलों की झड़प भी हुई, जिसमें एक पुलिसकर्मी सहित चार लोग घायल हो गए।
कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े एक्टिविस्ट पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, वे कार्बी आंगलोंग और वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिलों में प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व (PGR) और विलेज ग्रेजिंग रिजर्व (VGR) इलाकों पर अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले लोगों को हटाने की मांग कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, पुलिस ने कार्बी आंगलोंग के खेरोनी इलाके में प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की कोशिश की, जिससे झड़प हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही झड़प की खबर फैली प्रदर्शनकारियों के एक ग्रुप ने डोनकामोकाम में कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) के पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव मेंबर (CEM) के घर में आग लगा दी। जिससे चारों तरफ हड़कंप मच गया और दहशत फैल गई। इसका एक वीडियो भी सामने आया है।
KAAC Chief Executive Member Tuliram Ronghang’s residence was set on fire by local protesters in Karbi Anglong.
Situation developing; details awaited.#BREAKING #BreakingNews #Assam pic.twitter.com/Izt4lN4xpr — Dibyendu K Das (@dibyendu_das) December 22, 2025
इसके बाद सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और इस झड़प में तीन प्रदर्शनकारी और एक पुलिसकर्मी घायल हो गए। उन्होंने बताया कि घर में लगी आग बुझाने के लिए फायर टेंडर भेजे गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि घर खाली होने की वजह से अंदर किसी के घायल होने की कोई खबर नहीं है।
कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल एक स्व-शासी निकाय है जिसे संविधान की छठी अनुसूची के तहत कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों का प्रशासन करने के लिए स्थापित किया गया है। अभी इसका नेतृत्व बीजेपी कर रही है। कार्बी समुदाय असम की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति है, जो बोडो और मिसिंग के बाद राज्य की 38.8 लाख आदिवासी आबादी का 11.1% है।
फरवरी 2024 में काउंसिल ने अधिकारियों को असम की पहाड़ियों में चरागाह भूमि से 2,000 से ज़्यादा परिवारों को बेदखल करने का आदेश दिया, यह आरोप लगाते हुए कि वे ज़मीन पर अनाधिकृत कब्ज़ा किए हुए थे। प्रभावित होने वालों में ज़्यादातर हिंदी बोलने वाले निवासी थे जो बिहार और उत्तर प्रदेश के मूल निवासी थे।
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यह कार्रवाई क्षेत्र में हिंदी भाषी आबादी के खिलाफ कार्बी नागरिक समाज समूहों के विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में हुई थी। ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के बाद 15 फरवरी, 2024 को खेरोनी में हिंसा हुई, जब एक कार्बी छात्र समूह के सदस्यों पर कथित तौर पर हिंदी बोलने वालों ने हमला किया।