
असदुद्दीन ओवैसी
Asaduddin Owaisi on Vande Mataram: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी इसलिए आई क्योंकि ‘हमने मुल्क और मजहब को एक नहीं बनाया।’ ओवैसी ने यह भी कहा, “हुकूमत इस पर जोर-जबरदस्ती न करे, अगर जबरदस्ती करेंगे तो यह संविधान के खिलाफ है।”
ओवैसी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “जो लोग जंग-ए-आजादी में शामिल नहीं थे, वही आज देशभक्ति का ढोल पीट रहे हैं। अगर देशभक्ति दिखानी है तो गरीबी खत्म कीजिए, बेरोज़गारी दूर कीजिए, और असमानता को समाप्त कीजिए।” उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए पूछा, “क्या वे वंदे मातरम् को वफादारी का ‘टेस्ट’ बनाना चाहते हैं?”
वंदे मातरम् गाने या इसका उद्घोष करने के मुद्दे पर ओवैसी ने कहा, “हम अपनी मां की इबादत नहीं करते, हम कुरान की भी इबादत नहीं करते। इस्लाम में अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह वतन-परस्ती को मजहब में तब्दील करने के खिलाफ हैं। ओवैसी ने कहा, “वतन मेरा है और हम इसे छोड़कर नहीं जाएंगे, वफादारी का सर्टिफिकेट हमसे मत लीजिए।”
जब दस्तूर का पहला सफ़ा ही ख़याल, इज़हार, अक़ीदा, दीन और इबादत की पूरी आज़ादी देता है, तो फ़िर किसी शहरी को किसी ख़ुदा, देवी-देवता की इबादत या सज्दा के लिए कैसे मजबूर किया जा सकता है?” वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर लोकसभा में विशेष चर्चा के दौरान मेरी स्पीच pic.twitter.com/RqfXt27j32 — Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 8, 2025
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता तेजस्वी सूर्या ने ओवैसी के बयान पर जवाब देते हुए कहा कि वंदे मातरम् पर चर्चा करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि देश के युवा अतीत की गलतियों से सीखें और उन्हें न दोहराएं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि तुष्टीकरण उनकी राजनीति का हिस्सा बन गया है और पार्टी की तत्कालीन सरकार ने शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलट दिया था। सूर्या ने कहा, “यह वही मानसिकता है जिसने वंदे मातरम् का विरोध किया था और यही मानसिकता आज समान नागरिक संहिता और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का भी विरोध कर रही है।”
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समाजवादी पार्टी (सपा) की इकरा चौधरी ने भी वंदे मातरम् के असली भाव पर जोर दिया। उन्होंने यमुना नदी के प्रदूषण का मुद्दा उठाया और कहा कि यह सिर्फ एक नदी का संकट नहीं, बल्कि किसान का संकट है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा, “नमामि गंगे पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन जब पानी जहर हो जाएगा तो जल ‘सुजलाम’ कैसे होगा? किसान ‘सुफलाम’ कैसे होगा?” चौधरी ने यह भी पूछा कि क्या आज भारत में हवा ‘मलयज शीतलाम्’ है, और दिल्ली की हवा में सांस लेना “रोज 20 सिगरेट पीने जैसा” हो गया है।






