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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से आज भी राहत नहीं मिली है। CBI मामले में उन्हें आज भी जमानत नहीं मिली है। अगली सुनवाई आगामी 23 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत CBI को नोटिस भेजा है। बेंच ने केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, ‘‘हम कोई अंतरिम जमानत नहीं दे रहे हैं। हम नोटिस जारी करेंगे।”
जानकारी दें कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर आज सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। शीर्ष अदालत इस मामले में जमानत के अनुरोध वाली केजरीवाल की याचिका पर भी अलग से सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
Supreme Court issues notice to CBI on pleas of Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal seeking bail and challenging the Delhi High Court order upholding his arrest by the CBI in a corruption case stemming from the alleged excise policy scam. Supreme Court seeks response of CBI by… pic.twitter.com/GJXJXqblYa — ANI (@ANI) August 14, 2024
बीते सोमवार को जब केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो शीर्ष अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते 5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जिससे यह पता चलता है कि आप नेता किस तरह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके।
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हाई कोर्ट ने उनसे CBI मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था। तब हाई कोर्ट ने कहा था कि CBI द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिना किसी उचित कारण के या अवैध था।
इसमें कहा गया था कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के संयोजक हैं। उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘गवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है।”
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तब अदालत ने कहा था कि , ” यह भी स्थापित होता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उसके खिलाफ सबूतों का चक्र बंद हो गया। प्रतिवादी (CBI) के कृत्यों से किसी भी प्रकार की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है।”
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ आगे की जांच पर बढ़ी। कोर्ट ने तब कहा था कि अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के कारण उनके प्रभाव के कारण गवाह सामने नहीं आ रहे हैं। हाई कोर्ट को कहना था कि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)