केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फोटो-@ANI)
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में ‘आपातकाल के 50 साल’ पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के दौर को देश के लोकतंत्र के लिए सबसे काले अध्यायों में से एक बताया। उन्होंने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि जब इमरजेंसी लगी, तब वह सिर्फ 11 साल के थे, लेकिन उस समय के दृश्यों को वह आज तक नहीं भूल पाए हैं। खासकर, अपने गांव के 184 लोगों को जेल जाते देखना उनके लिए बेहद भावनात्मक अनुभव था।
अमित शाह ने कहा, मैं गुजरात के एक छोटे से गांव से आता हूं, जहां से एक ही दिन में 184 लोग सिर्फ इसलिए जेल भेजे गए थे क्योंकि वे स्वतंत्रता और लोकतंत्र की बात कर रहे थे। उस समय यह समझ भी नहीं था कि असल में हो क्या रहा है, लेकिन अब समझ आता है कि वह सुबह कितनी निर्दयी थी। उन्होंने आपातकाल को तानाशाही की साजिश करार देते हुए कहा कि यह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश को एक व्यक्ति की सत्ता की भूख का शिकार बनाने की कोशिश थी। शाह बोले, भारत लोकतंत्र की जननी है और इस देश में तानाशाही को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
#WATCH | Delhi: Addressing the ‘Aapatkaal Ke 50 Saal’ program, Union Home Minister Amit Shah says, “… Imagine being jailed just for having the thought of being free. We cannot even imagine how cruel that morning may have been for the people of India…” pic.twitter.com/EIBGV8bdfo
— ANI (@ANI) June 24, 2025
लोकतंत्र को कुचलने की साजिश थी आपातकाल
गृह मंत्री ने कहा कि इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 को आपातकाल लागू कर संविधान के मूल अधिकारों को खत्म कर दिया। प्रेस की आजादी छीन ली गई, विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया, और जनता की आवाज को दबा दिया गया। शाह ने कहा, इस देश ने वह दौर देखा है जब सुबह-सुबह लोग बिना वारंट के उठा लिए जाते थे। सिर्फ विचार रखने के लिए जेल में डाल देना आज के युवाओं को असंभव लगेगा, लेकिन तब यह सच्चाई थी।
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मोरारजी देसाई की सरकार बनी थी बदलाव का प्रतीक
शाह ने याद दिलाया कि जब आपातकाल हटा और 1977 में लोकसभा चुनाव हुए, तो भारत की जनता ने पहली बार कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया और एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने। उन्होंने कहा कि यह चुनाव परिणाम इस बात का प्रमाण था कि भारत की आत्मा लोकतांत्रिक है और तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करती।