केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (फोटो- सोशल मीडिया)
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने रिटायरमेंट प्लान का खुलासा करते हुए कहा कि वह सार्वजनिक जीवन से अलग होने के बाद खुद को पूरी तरह वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को समर्पित करेंगे। ‘सहकार-संवाद’ कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा कि रासायनिक खेती से समाज को जो नुकसान हो रहा है, उसका समाधान प्राकृतिक खेती में है।
गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाओं के साथ संवाद करते हुए अमित शाह ने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय के बाद सहकारिता मंत्रालय उन्हें सबसे अधिक महत्वपूर्ण लगा, क्योंकि यह सीधे गांव, गरीब और किसान से जुड़ा है। इस मौके पर उन्होंने त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी और त्रिभुवन काका के योगदान को भारत के सहकारी आंदोलन की असली नींव बताया। शाह ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने कभी नाम नहीं मांगा, बस काम किया।
गुजरात के बनासकांठा की नौजीबेन जी ने अपने अनुभव से बताया कि कैसे सहकारिता से जुड़कर उनकी समिति करोड़ों का व्यवसाय कर रही है। छोटी पूँजी लगाकर बड़े व्यवसाय कर पाना सहकारिता से ही संभव है।#SahkarSamvaad pic.twitter.com/dqP4xEXhCE
— Amit Shah (@AmitShah) July 9, 2025
प्राकृतिक खेती में समाधान रासायनिक पर चिंता
अमित शाह ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों से पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा, प्राकृतिक खेती न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मिट्टी की गुणवत्ता और कृषि उत्पादकता को भी बेहतर बनाती है। शाह ने जोर दिया कि उनके रिटायरमेंट के बाद का जीवन इसी दिशा में काम करने और समाज को जागरूक करने में लगेगा। यह पहल भारत को ‘सस्टेनेबल फार्मिंग’ की दिशा में आगे बढ़ा सकती है।
सहकारिता मंत्रालय को बताया सबसे बड़ा विभाग
शाह ने अपने भाषण में कहा, जब मैं गृह मंत्री बना, तो सबने कहा कि मुझे देश का सबसे बड़ा मंत्रालय मिला है, लेकिन जिस दिन मुझे सहकारिता मंत्रालय सौंपा गया, मुझे महसूस हुआ कि यह उससे भी बड़ा और महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह मंत्रालय सीधे गरीब, किसान, पशुपालक और महिलाओं के उत्थान से जुड़ा है। सहकारी समितियों ने न सिर्फ आर्थिक बदलाव लाया, बल्कि सामाजिक सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभाई है।
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कार्यक्रम के दौरान शाह ने ये भी कि आज सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाएं 1 करोड़ रुपये तक की आमदनी कर रही हैं और यह बदलाव त्रिभुवन काका जैसे नेताओं की दूरदृष्टि का ही परिणाम है।