प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो: सोशल मीडिया
What is Go Around: 10 अगस्त को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का एक विमान बड़े हादसे से बच गया। उड़ान के दौरान उसे ‘गो-अराउंड’ का निर्देश मिला था।
तिरुवनंतपुरम से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले विमान में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल, चार अन्य सांसद और कई यात्री सवार थे। सभी लोग अपनी मंजिल तक सुरक्षित पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन सफर के बीच तकनीकी खराबी ने डर और बेचैनी पैदा कर दी। ‘गो अराउंड’ निर्देश के कारण विमान में सवार सभी यात्री सुरक्षित रह पाए। ‘गो अराउंड’ दरअसल एक सुरक्षा प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य लैंडिंग से जुड़ी संभावित दुर्घटनाओं को टालना होता है।
उड़ान के दौरान विमान में गड़बड़ी आने के बाद उसे चेन्नई एयरपोर्ट की ओर मोड़ दिया गया। यात्री के अनुसार, उड़ान में देरी से शुरुआत हुई, फिर तेज़ टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा, और लगभग एक घंटे बाद पायलट ने ‘सिंगल फॉल्ट’ की घोषणा की। इसके बाद करीब दो घंटे तक विमान एयरपोर्ट के ऊपर चक्कर लगाता रहा।
Air India flight AI 2455 from Trivandrum to Delhi – carrying myself, several MPs, and hundreds of passengers – came frighteningly close to tragedy today.
What began as a delayed departure turned into a harrowing journey. Shortly after take-off, we were hit by unprecedented…
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 10, 2025
जब पहली बार लैंडिंग की कोशिश हुई तो पायलट ने देखा कि स्थिति पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, इसलिए विमान को ऊपर उठा लिया गया। एयर इंडिया के मुताबिक, यह फैसला सावधानी के तौर पर लिया गया था और गो अराउंड का निर्देश रनवे पर किसी अन्य विमान के कारण नहीं था, बल्कि चेन्नई एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल की सुरक्षा जांच के बाद दिया गया था।
‘गो-अराउंड’ की प्रक्रिया सड़क यातायात नियमों जैसी होती है। जैसे सड़क पर तय नियमों से हादसों को टाला जाता है, वैसे ही आसमान में भी विमानन के अपने नियम होते हैं। विमान कब लैंड करेगा, किस मार्ग से जाएगा, या तकनीकी खराबी आने पर क्या कदम उठाए जाएंगे, इन सबका नियंत्रण एटीसी करता है। ‘गो-अराउंड’ का इस्तेमाल तब किया जाता है जब पायलट या एटीसी को लगता है कि मौजूदा लैंडिंग सुरक्षित नहीं होगी।
लैंडिंग के समय यदि रनवे पर कोई रुकावट हो, मौसम बिगड़ जाए, या हवाई मार्ग में किसी टकराव की आशंका हो, तो पायलट को गो अराउंड का आदेश दिया जा सकता है। इसमें विमान लैंडिंग की प्रक्रिया रोककर दोबारा ऊंचाई पर चला जाता है और एक नए प्रयास के लिए सुरक्षित स्थिति का इंतजार करता है।
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चेन्नई में भी यही हुआ, पहली कोशिश में गो-अराउंड के आदेश के बाद विमान ने दोबारा ऊंचाई पकड़ी और फिर सुरक्षित लैंडिंग की। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि पायलट की तत्परता और एटीसी की सतर्कता ही यात्रियों की जान की सबसे बड़ी सुरक्षा ढाल है।