अहमदाबाद विमान हादसे में जिंदा बचे शख्स विश्वासकुमार रमेश (फोटो- सोशल मीडिया)
Air India Ahmedabad Crash Survivor Vishwaskumar Ramesh Story: 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने 241 जिंदगियों को छीन लिया था, लेकिन उस मौत के मलबे से एक शख्स जिंदा निकला था। उनका नाम है विश्वासकुमार रमेश। दुनिया उन्हें ‘सबसे भाग्यशाली इंसान’ मानती है, लेकिन 39 साल के विश्वासकुमार आज भी शारीरिक और मानसिक पीड़ा के गहरे समंदर में डूबे हैं। इस हादसे ने उनसे उनके भाई अजय को भी छीन लिया, जो उनसे कुछ ही सीट की दूरी पर बैठे थे। आज वह खुद को खुशकिस्मत तो कहते हैं, लेकिन उनकी हर सांस एक सजा जैसी बन गई है।
विश्वासकुमार की मलबे से निकलते हुए तस्वीरें दुनिया भर में वायरल हुई थीं। इसे उन्होंने ‘चमत्कार’ बताया। लेकिन यह चमत्कार उनके लिए एक दर्द लेकर भी आया। इंग्लैंड के लेस्टर लौटने के बाद से वह पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से जूझ रहे हैं। वह अपने घर में खामोश रहते हैं, अपनी पत्नी और चार साल के बेटे से भी बात नहीं कर पा रहे हैं। वह कहते हैं, “मुझे बस अकेले रहना ही अच्छा लगने लगा है।”
विश्वासकुमार ने बीबीसी से बात करते हुए अपनी पूरी दर्दनाक कहानी बयां की है। वह कहते हैं, “मैं अकेला जिंदा बचा हूं। अब तक यकीन नहीं होता। यह किसी चमत्कार से कम नहीं।” लेकिन इस चमत्कार के साथ उन्होंने अपना सबसे बड़ा सहारा खो दिया। “मेरा भाई भी चला गया। मेरा भाई ही मेरी ताकत था। पिछले कुछ सालों से वही मेरा सबसे बड़ा सहारा था।”
हादसे की यादें ताजा करना उनके लिए बेहद मुश्किल है। जब उनसे हादसे वाले दिन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “मैं अभी उस बारे में कुछ नहीं कह सकता।” वह सीट 11A पर थे और विमान के टूटे हिस्से से रेंगते हुए बाहर निकले थे। उन्होंने बताया, “मेरे पैर, कंधे, घुटने और पीठ में दर्द रहता है। मैं ठीक से चल भी नहीं पाता, मेरी पत्नी सहारा देती है।” हादसे के बाद से वह न तो काम कर पा रहे हैं और न ही गाड़ी चला पा रहे हैं।
इस हादसे ने विश्वासकुमार के पूरे परिवार को तबाह कर दिया है। वह बोले, “इस हादसे के बाद शारीरिक और मानसिक तौर पर जिंदगी बहुत कठिन हो गई है। मेरा परिवार भी मानसिक रूप से बहुत परेशान है। मेरी मां पिछले चार महीने से हर दिन दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं, किसी से बात नहीं करतीं।” वह खुद भी रातभर सोचते रहते हैं, “दिमाग पर बहुत बोझ है।” भारत में उनके भाई अजय के साथ चलने वाला मछली का कारोबार भी अब पूरी तरह बंद हो गया है।
उनका कहना है कि भारत में इलाज के दौरान पीटीएसडी की पुष्टि होने के बावजूद, उन्हें इंग्लैंड लौटने पर कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला। एयर इंडिया ने उन्हें अंतरिम मुआवजे के तौर पर करीब 21,500 पाउंड (लगभग 22 से 25 लाख रुपये) की पेशकश की, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है, लेकिन उनके लोगों का कहना है कि यह रकम उनकी जरूरतों के लिए बहुत कम है।
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परिवार की तरफ से प्रार्थना कर रहे प्रवक्ता रैड सीगर और समुदाय के नेता संजीव पटेल के अनुसार, परिवार मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट में है। सीगर ने कहा कि उन्होंने एयर इंडिया से तीन बार मुलाकात का अनुरोध किया, लेकिन हर बार उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। यह मीडिया इंटरव्यू एयरलाइन से सीधी बात करने की ‘चौथी अपील’ है। सीगर ने कहा, “हम सिर्फ यह चाहते हैं कि वो हमारे साथ बैठें, बात करें, ताकि मिलकर इस दर्द को थोड़ा कम किया जा सके।” टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया ने एक बयान में कहा कि उनके शीर्ष अधिकारी पीड़ित परिवारों से मिल रहे हैं और विश्वासकुमार के प्रतिनिधियों को भी बैठक का प्रस्ताव दिया गया था।