असदुद्दीन ओवैसी और लालू प्रसाद यादव (फोटो-सोशल मीडिया)
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुट चुके हैं। यह समय चुनावी रणनीति का है। इस बीच AIMIM द्वारा महागठबंधन में शामिल होने के प्रयासों का खुलासा हुआ है। दरअसल बिहार AIMIM के अध्यक्ष ने ओवैसी की अनुमति के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखा है।
पत्र में AIMIM की तरफ से स्पष्ट तौर पर गठबंधन में जगह देने की मांग की गई है। अब लालू प्रसाद यादव के पाले में गेंद हैं। इस पर अंतिम फैसला उन्हीं को लेना है। AIMIM का यह पत्र महागठबंधन के लिए दो धारी तलवार है। क्योंकि ओवैसी पर हमेशा भाजपा की बी टीम होने का आरोप विपक्षी दल लगाते हैं। इसलिए अब ओवैसी स्वयं गठबंधन में शामिल होने की पहल कर दिए हैं। अगर AIMIM गठबंधन में शामिल होती है, राज्य में पार्टी के तौर पर मजबूती मिलेगी। यदि गठबंधन एंट्री नहीं होती तो कम से कम बी टीम तो नहीं बोल पाएंगे।
दोराहे पर लालू प्रसाद यादव
ओवैसी की तरफ से लिखे गए इस पत्र से राजद धर्म संकट में फंस गई है। अगर गठबंधन में शामिल करते हैं तो कम से 10 सीट देनी पड़ेंगी, क्योंकि पिछले चुनाव में AIMIM के 5 विधायक बने थे। हालांकि बाद में सभी विधायक राजद में शामिल हो गए थे। अगर गठबंधन में नहीं शामिल करते हैं तो पूरे राज्य में चुनाव लड़कर ओवैसी राजद के लिए परेशानी का सबब बनेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या लालटेन के साथ पतंग उड़ेगी?
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ताकि कोई रोना न रोये की मम्मी-मम्मी हमसे चॉलेट छीन लियाः ओवैसी
इस चिट्ठी का समय भी रणनीतिक दृष्टि से काफी माकूल है, क्योंकि ओवैसी का एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह साफ कह रहे हैं कि बिहार में पार्टी के प्रमुख अख्तरुल ईमान गठबंधन की कोशिश कर रहे हैं। हमने उन्हें खुली छूट दी है। क्योंकि चुनाव के बाद कोई इस बात का रोना ना रोये कि मम्मी-मम्मी हमसे हमारा चॉकलेट छीन लिया।
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वहीं खास बात ये है कि ओवैसी पहले सीमांचल की दो सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकेहैं। ऐसे में यदि गठबंधन हुआ तो महागठबंधन को अडजस्ट करना होगा। इसके अलावा ओवैसी इस सीमांचल से बाहर कई सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर कर चुके हैं। जो सीधे तौर पर महागठबंधन के सियासी सपनों पर कुठाराघात है।