यशवंत वर्मा, फोटो - सोशल मीडिया
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यानी CJI संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति पहुंची। यह टीम करीब 45 मिनट तक वहां मौजूद रही। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि जांच दल ने जस्टिस वर्मा से कोई सीधी बातचीत की या नहीं।
बता दें, यह कमेटी 14 मार्च 2025 की रात उनके घर में लगी आग और उस दौरान कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले की जांच के लिए बनाई गई है। कमेटी में कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज सहित तीन सदस्य शामिल हैं।
आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे पांच पुलिसकर्मियों ने अपने मोबाइल फोन दिल्ली पुलिस मुख्यालय को सौंप दिए हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इन उपकरणों से प्राप्त जानकारी जांच समिति के लिए अहम साबित हो सकती है। इनमें तुगलक रोड थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ), एक सब-इंस्पेक्टर, दो हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल शामिल हैं। जांच अधिकारी भी इनमें से एक हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने इन पुलिसकर्मियों को बुलाकर जांच में पूरा सहयोग करने और हर जानकारी साझा करने का निर्देश दिया है।
#WATCH | Delhi | Three-member Judge committee to probe allegations against Justice Yashwant Varma arrives at his residence pic.twitter.com/WyzSikUMPa — ANI (@ANI) March 25, 2025
यह जांच उस घटना से जुड़ी है, जब जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगी थी। उस समय उनके घर से कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की बात सामने आई थी। इस मामले ने न्यायिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध जताया है। जांच समिति का गठन इस विवाद को सुलझाने और तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए किया गया है।
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जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा के भविष्य पर फैसला लिया जाएगा। यह मामला न केवल न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा है, बल्कि जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जांच के नतीजे इस बात को तय करेंगे कि क्या यह आरोप सही हैं या महज एक साजिश का हिस्सा।