प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो: सोशल मीडिया
Stray Dogs News: विधान परिषद में बोलते हुए भोजेगौड़ा ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 2,800 स्ट्रीट डॉग्स को मार दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस वजह से जेल भी जाना पड़े तो वह इसके लिए तैयार हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से सभी स्ट्रीट डॉग्स को हटाकर शेल्टर होम में भेजने का निर्देश दिया है, जिसे आठ हफ्तों में पूरा करने को कहा गया है। इस आदेश के बाद देश भर में पशु अधिकार बनाम जन सुरक्षा की बहस छिड़ गई है। इसी संदर्भ में भोजेगौड़ा ने कहा, “हमें जानवरों की चिंता है, लेकिन पशु प्रेमियों की सोच भी एक खतरा है।”
भोजेगौड़ा ने विधान परिषद में अपने कार्यकाल का एक वाकया सुनाते हुए कहा कि जब वह चिकमगलूर नगर निकाय के अध्यक्ष थे, तब बच्चों पर लगातार हो रहे स्ट्रीट डॉग्स के हमलों को रोकने के लिए उन्होंने करीब 2,800 कुत्तों को खत्म करने का आदेश दिया था। उनके मुताबिक, “हमने मांस में कुछ मिलाकर उन्हें खिलाया और फिर नारियल के पेड़ों के नीचे दफना दिया।”
बीते दिनों बेंगलुरु में अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स यूनिवर्सिटी के दो छात्रों पर आवारा कुत्तों ने हमला किया, जिससे दोनों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिछले महीने कोडिगेहल्ली में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग की उसके घर के बाहर कुत्तों के झुंड ने जान ले ली। पुरानी हुबली के शिमला नगर में तीन साल की बच्ची पर भी कुत्तों का हमला सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुआ था, जिसमें कुत्ते उसे जमीन पर घसीटते और काटते दिखे।
इन घटनाओं के बाद कर्नाटक लोकायुक्त न्यायमूर्ति बीएस पाटिल ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि BBMP ने आक्रामक स्ट्रीट डॉग्स के लिए ऑब्जर्वेशन होम बनाने के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
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आपको बता दें कि जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने हाल ही में एक आदेश जारी करते हुए दिल्ली-एनसीआर के सभी स्ट्रीट डॉग्स को हटाकर शेल्टर होम में भेजने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे आठ हफ्ते के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले में रोज नई बहस छिड़ रही है। आज इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई भी होनी है। सीजेआई जस्टिस गवई ने तीन जजों की बेंच का गठन किया है। इसमें जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया शामिल हैं।