सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
शिमला: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच सोमवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से जारी भूस्खलन निगरानी रिपोर्ट ने सरकार और जनता दोनों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में भूस्खलन की आशंका वाले 22 स्थानों की पहचान की गई है। इनमें से 18 स्थानों पर लैंडस्लाइड के लिए हाई रिस्क तो स्थान को ‘वेरी हाई रिस्क जोन घोषित किया गया है।
कांगड़ा जिले का संधोल क्षेत्र ‘अति उच्च जोखिम’ वाले स्थान के रूप में दर्ज किया गया है, जिसे फिलहाल सबसे संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इस सूची में मंडी जिले के कुल 15 स्थान शामिल हैं। इनमें प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पराशर, ग्रिफन पीक-1 से 10, सनाली और तत्तापानी तथा विश्वकर्मा मंदिर शामिल हैं। वहीं, कांगड़ा जिले के 4, शिमला के 2 और सोलन के 1 क्षेत्र को भी ‘उच्च खतरे’ वाले क्षेत्रों में रखा गया है।
कांगड़ा जिले का मुख्यालय धर्मशाला और शिमला जिले का जतोग भी उच्च खतरे वाले क्षेत्रों में शामिल है। राहत की बात यह है कि ‘खतरनाक स्थिति’ में कोई भी स्थान निष्क्रिय नहीं है और सभी 22 संवेदनशील स्थानों पर निगरानी दल सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। कोटरोपी (मंडी) और बलदून (कांगड़ा) जैसे दो क्षेत्रों में फिलहाल खतरा नहीं पाया गया है या खतरे का स्तर ‘निम्न’ श्रेणी में है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, 20 से 30 जून के बीच बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में राज्य में 44 लोगों की जान चली गई है, 82 लोग घायल हुए हैं और 83 मवेशियों की मौत हुई है। 35 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, 8 दुकानें और 26 गौशालाएं भी नष्ट हुई हैं।
मानसून के इस भीषण कहर में अब तक प्रदेश की करीब 75 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हो चुका है, जिसमें जल शक्ति विभाग और लोक निर्माण विभाग को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। सरकार ने लोगों से संवेदनशील क्षेत्रों में यात्रा करने से बचने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है। प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को बताया कि बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश भर में 390 सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, जिन्हें खोलने के लिए 110 विभागीय जेसीबी और 132 किराए की मशीनें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं। विभाग का लक्ष्य अगले तीन दिनों में सभी मार्गों को बहाल करना है।
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विक्रमादित्य सिंह ने यह भी कहा कि बारिश के कारण जहां कई स्थानों पर पुल टूटने की आशंका है, वहीं वैली ब्रिज जैसे वैकल्पिक पुलों की व्यवस्था भी कर ली गई है। 20 करोड़ रुपये की कीमत के ये स्टॉक ब्रिज आपात स्थिति में तुरंत लगा दिए जाएंगे।