आंखों के फड़कने की बीमारी (सौ.सोशल मीडिया)
Myokymia: आज भी स्वास्थ्य से जुड़े कई लक्षण को धार्मिक या शुभ या अशुभ संकेतों से जोड़कर देख लिया जाता है। इसमें ही आंख फड़कना जैसी समस्या इन ही संकेतों की वजह से नजरअंदाज कर दी जाती है। मेडिकल साइंस ने अभी काफी प्रग्रति कर ली है जो इन शुभ-अशुभ जैसे संकेतों को नहीं मानता है। आंख फड़कने का कारण एक बीमारी से जुड़ा होता है जिसके लक्षण देखकर हर कोई नजरअंदाज कर देते है।
कई बार आंख फड़कने की समस्या लगातार बनी रहती है तो गंभीर बीमारी ‘Myokymia’ का कारण बनती है। इस बीमारी के लक्षणों को पहचानकर तुरंत इलाज करने की आवश्यकता होती है चलिए जानते हैं इसके बारे में…
यहां पर आंखों के फड़कने की इस बीमारी को मेडिकल भाषा में ‘Myokymia’ का नाम दिया गया है। यहां पर इस बीमारी किसी को होती है तो उसे आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और वो फड़कने लगती हैं। सामान्य रूप से कई बार स्ट्रेस, आई स्ट्रेन या नींद कम आने के कारण या फिर ज्यादा एल्कोहल लेने की वजह से ऐसा हो सकता है। कई बार स्क्रिन के सामने लंबे समय तक काम करने से भी आंखें फड़कने लगती है। कई मामलों में यह बीमारी के लक्षण आम है लेकिन गंभीर लक्षण भी इसे प्रभावित करते है।
1-आईलिड मायोकेमिया-
इस समस्या में ऐसा होता है कि, कई बार आंख फड़कने लगती है। लेकिन काफी हल्की तरह से आंख फड़कती है। यह बीमारी का कारण आपकी लाइफस्टाइल जैसे स्ट्रेस, आंखों में थकान, ज्यादा कैफीन, नींद पूरी न होना या फिर ज्यादा देर तक फोन और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना हो सकता है।
2-बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म-
इस बीमारी की स्थिति में आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। इसमें पलक बंद करने पर दर्द होता है। कई बार आंखों में सूजन आ जाती है और धुंधला दिखने लगता है। इससे आंख खोलना भी मुश्किल हो जाता है।
3-हेमीफेशियल स्पाज्म-
इस बीमारी की स्थिति में चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है जिससे आंख पर प्रेशर पड़ता है। इसमें पहले आंख फिर गाल और फिर मुंह की मसल्स भी फड़कने लगती हैं। ऐसा नसों के सुन्न होने के कारण भी हो सकता है। इस बीमारी की स्थिति में लंबे समय तक ऐसा होने से डिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस, बैन पल्सी, सर्विकल डिस्टोनिया और पार्किन्सन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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अगर आपको इन प्रकार की आंख फड़कने की समस्या या लक्षण नजर आते है तो तुरंत इलाज करना जरुरी होता है। इसके लिए जरूरी है कि आंखों को रिलेक्स दें। समय पर आई चेकअप करवाएं। ड्राई आई होने पर आंखों में आई ड्रॉप डालें। खाने में कैफीन कम करें और हरी सब्जिया, फल और हेल्दी चीजें ज्यादा शामिल करें। तनाव दूर करें और भरपूर नींद लें।