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‘हिडन हंगर’ और ‘मालन्यूट्रिशन’ जैसी बीमारियों को दूर करेगा पोषक आहार, जानिए हेल्थ एक्सपर्ट से

National Nutrition Week: पोषण को बढ़ावा देने के लिए 1 सितंबर से राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह चल रहा है। इस सप्ताह के दौरान हर वर्ग के लोगों को पोषण आहार और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Sep 06, 2025 | 10:04 AM

पोषक आहार (सौ. सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली: पोषण आहार हर किसी की सेहत के लिए जरूरी होता है। पोषण को बढ़ावा देने के लिए 1 सितंबर से राष्ट्रीय पोषण आहार सप्ताह चल रहा है। इस सप्ताह के दौरान हर वर्ग के लोगों को पोषण आहार और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है। हर दिन पोषण आहार से जुड़ी नई जानकारियों डॉक्टर्स दे रहे है। हाल ही में अवसर पर नोएडा के सीएचसी भंगेल में सीनियर मेडिकल ऑफिसर एवं गायनेकोलॉजिस्ट (सर्जन) डॉ. मीरा पाठक ने भारतीय आहार और जीवनशैली के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि पारंपरिक भारतीय भोजन, जैसे रोटी, सब्जी, दाल, चावल, रायता, छाछ और मौसमी फल, न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर हैं।

इसके साथ ही ‘हिडन हंगर’ और ‘मालन्यूट्रिशन’ जैसी गंभीर समस्याओं पर प्रकाश डाला है। हर महिला को पोषण आहार लेना चाहिए इसकी सलाह हेल्थ एक्सपर्ट दे रहे है।

शहरी और ग्रामीण महिलाओं के आहार में अंतर

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. मीरा पाठक जानकारी देते हुए बताती है कि, पारंपरिक भारतीय आहार पोषक तत्वों से भरपूर होते है इनमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा खानपान में पारंपरिक चीजों गुड़ के लड्डू को शामिल करने के फायदे भी होते है। ग्रामीण महिलाओं औऱ शहरी महिलाओं के जीवनशैली औऱ रहन-सहन में बदलाव होता है। शहरी महिलाएं, चाहे वे गर्भवती हों या वयस्क, अधिक प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) भोजन खाती हैं, जिसमें एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव्स की मात्रा अधिक होती है। ताजा भोजन आसानी से उपलब्ध नहीं होता। उनकी जीवनशैली तेज और तनावपूर्ण होती है।

इस कारण शहरी क्षेत्रों में ‘हिडन हंगर’ की समस्या देखी जाती है, यानी कैलोरी तो पर्याप्त मिलती है, बल्कि अधिक भी, जिससे मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग जैसी समस्याएं बढ़ती हैं। लेकिन, भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों (विटामिन, खनिज, आयरन) की कमी रहती है, जिससे शरीर कमजोर हो जाता है, थकान जल्दी होती है, एनीमिया और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

ताजे फल और सब्जियां

हेल्थ एक्सपर्ट आगे बताती है कि, ग्रामीण महिलाओं को ताजे फल और सब्जियां आसानी से मिल जाते हैं और उनकी जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियां अधिक होती हैं। वे प्रदूषण से भी कम प्रभावित होती हैं। लेकिन आर्थिक तंगी और जागरूकता की कमी के कारण वे सही पोषण नहीं ले पातीं। कई बार मिथकों के आधार पर खान-पान की गलतियां होती हैं, जैसे दूध न पीना या बासी भोजन खाना। परिवार के लिए पहले खाना परोसने के बाद बचा हुआ खाना खाने की आदत भी पोषक तत्वों की कमी का कारण बनती है। इससे ग्रामीण महिलाओं में ‘ओवरट मैन्यूट्रिशन’ की समस्या होती है, जिसमें वे दिखने में दुबली-पतली होती हैं, उनका वजन उम्र के हिसाब से कम होता है और एनीमिया, विटामिन व खनिजों की कमी जैसी समस्याएं होती हैं।

ये भी पढ़ें- वैज्ञानिकों ने खोज निकाला अहम जवाब, आखिर पुरुषों और महिलाओं में क्यों होता है अलग-अलग इम्यून सिस्टम

यह डाइट अपनाना जरूरी

डॉ. पाठक ने सुझाव दिया कि स्वस्थ रहने के लिए भोजन, व्यायाम और आराम का संतुलन जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं सचेत खान-पान (माइंडफुल ईटिंग) करें, अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें और उन्हें नजरअंदाज न करें। रोजाना 8-10 गिलास पानी, नारियल पानी, नींबू पानी या छाछ जैसे तरल पदार्थ लें। गर्मियों में पानी की मात्रा बढ़ाएं। एक महत्वपूर्ण सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को बाएं करवट सोना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे की ओर रक्त प्रवाह बढ़ता है। तनाव से बचें, गहरी सांस लेने वाले व्यायाम और ध्यान करें, और सकारात्मक माहौल में रहें। जंक फूड, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और प्रिजर्वेटिव्स वाले खाद्य पदार्थों से पूरी तरह बचें।

आईएएनएस के अनुसार

Nutritious food will eliminate diseases like hidden hunger and malnutrition

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Published On: Sep 06, 2025 | 10:04 AM

Topics:  

  • National Nutrition Week
  • Nutrition
  • Nutritious Food

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