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ब्रेस्ट कैंसर जांच में बदलाव की जरूरत, रिस्क-बेस्ड तरीका ज्यादा स्मार्टनेस, जानिए

Breast Cancer Screening: यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को (UCSF) द्वारा किए गए इस बड़े ट्रायल में अमेरिका की करीब 46,000 महिलाओं को शामिल किया गया।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Dec 28, 2025 | 01:33 PM

ब्रेस्ट कैंसर की जांच (सौ.सोशल मीडिया)

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Breast Cancer Screening: हाल ही में प्रकाशित एक बड़े अध्ययन से ब्रेस्ट कैंसर की जांच को लेकर दशकों पुरानी सोच पर सवाल खड़े हो गए हैं। अब तक आमतौर पर यह माना जाता था कि 40 साल की उम्र के बाद सभी महिलाओं को हर साल मैमोग्राम कराना चाहिए, चाहे उनका ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम हो या ज्यादा। लेकिन नए शोध के अनुसार, हर महिला के व्यक्तिगत जोखिम को ध्यान में रखकर की गई स्क्रीनिंग ज्यादा स्मार्ट, सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को (UCSF) द्वारा किए गए इस बड़े ट्रायल में अमेरिका की करीब 46,000 महिलाओं को शामिल किया गया। अध्ययन में पारंपरिक वार्षिक मैमोग्राम की तुलना “रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग” से की गई, जिसमें जेनेटिक, जैविक और जीवनशैली से जुड़े कारकों को ध्यान में रखा गया। यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित हुआ है।

ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाना आसान

अध्ययन के नतीजों से पता चला कि रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग एडवांस स्टेज ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में उतनी ही प्रभावी है जितनी सालाना मैमोग्राम जांच, लेकिन इसमें कम बार जांच की जरूरत पड़ी। सबसे अहम बात यह रही कि इस तरीके से हायर-स्टेज कैंसर के मामलों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई। यानी कम जांच के बावजूद मरीजों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हुआ।

UCSF ब्रेस्ट केयर सेंटर की डायरेक्टर और स्टडी की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लॉरा जे. एस्सरमैन ने कहा कि ये नतीजे ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए मौजूदा क्लिनिकल गाइडलाइंस और प्रैक्टिस में बदलाव की जरूरत को दर्शाते हैं। उनके मुताबिक, “पर्सनलाइज्ड अप्रोच की शुरुआत रिस्क असेसमेंट से होती है, जिसमें जेनेटिक, बायोलॉजिकल और लाइफस्टाइल फैक्टर्स को शामिल किया जाना चाहिए। यही आगे चलकर प्रभावी रोकथाम रणनीतियों का रास्ता दिखाता है।”

जानिए क्या कहते है आंकड़ें

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में एक साल में लगभग 2.3 मिलियन नए मामले सामने आए, जबकि करीब 6.7 लाख महिलाओं की इस बीमारी से मौत हुई। इसके बावजूद, लंबे समय से स्क्रीनिंग गाइडलाइंस यह मानकर बनाई जाती रहीं कि सभी महिलाओं का जोखिम लगभग एक जैसा है, जबकि वैज्ञानिक सबूत बताते हैं कि जोखिम हर महिला में काफी अलग-अलग हो सकता है।

स्टडी के सह-लेखक और UCSF में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. जेफरी ए. टाइस के अनुसार, कम जोखिम वाली महिलाओं की तुलना में ज्यादा जोखिम वाली महिलाओं पर संसाधनों को केंद्रित करना ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग और रोकथाम का ज्यादा कुशल तरीका है।

ये भी पढ़ें- नया साल, नई शुरुआत, हेल्दी लाइफ के लिए अपनाएं ये 5 जरूरी रेजोल्यूशन, बहुत आएंगे काम

चौंकाने वाला किया खुलासा

एक और चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि अध्ययन में शामिल करीब 30 प्रतिशत महिलाओं में ऐसे जेनेटिक वैरिएंट पाए गए, जो ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी फैमिली हिस्ट्री में इस बीमारी का कोई उल्लेख नहीं किया था। इससे साफ होता है कि केवल उम्र या पारिवारिक इतिहास के आधार पर स्क्रीनिंग तय करना पर्याप्त नहीं है।

कुल मिलाकर, यह अध्ययन ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग को ज्यादा व्यक्तिगत, वैज्ञानिक और संसाधन-सक्षम बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

Breast cancer screening risk based approach

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Published On: Dec 28, 2025 | 01:33 PM

Topics:  

  • Cancer
  • Cancer patients
  • Health News

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