भूपेंद्र हुड्डा- कुमार सैलजा (फोटो-सोशल मीडिया)
Haryana Politics: हरियाणा में राहुल गांधी ने आखिरकार गुटबाजी को दरकिनार कांग्रेस का संगठन बनाने की दिशा में पहला बड़ा कदम बढ़ा दिया है। 11 साल बाद हरियाणा कांग्रेस को जिलाध्यक्ष मिल गए हैं। एक लंबी प्रक्रिया के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को सुबह जिलाध्यक्षों की लिस्ट जारी की।
हरियाणा में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की लिस्ट देखें तो इसमें राहुल गांधी की छाप नजर आती है। कांग्रेस पार्टी आजकल ओबीसी, एससी, एसटी की भागीदारी की बात कर रही है। इस लिस्ट में भागीदारी के साथ जातीय समीकरण और भूपेंद्र हुड्डा-कुमारी सैलजा का भी ध्यान रखा गया है।
कांग्रेस द्वारा जारी की गई लिस्ट में अभी पानीपत शहरी क्षेत्र में जिलाध्यक्ष नहीं नियुक्त किया गया है। इसके अलावा हिसार में 24 घंटे के अंदर ही जिलाध्यक्ष बदल दिया गया। यहां कुमारी सैलजा समर्थक एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल की जगह रणदीप सुरजेवाला के नजदीकी बृजलाल बहबलपुरिया जिलाध्यक्ष बना दिया गया है।
कांग्रेस हाईकमान द्वारा जारी की गई हरियाणा में जिलाध्यक्षों की सूची को ध्यान से देखें तो पता चलता है इस बार सिफारिश से ज्यादा जातीय समीकरण और मेरिट को ध्यान में रखा गया है। जिसकी बात भूपेंद्र हुड्डा और राहुल गांधी करते हैं। इसका एक और कारण है कि चुनावी हार से परेशान राहुल गांधी ने हरियाणा संगठन सृजन अभियान की बैठक में सभी नेताओं के सामने स्पष्ट कर दिया था कि सिफारिश नहीं चलेगी। नए लोगों को मौका अधिक दिया जाएगा।
कांग्रेस नेतृत्व ने हरियाणा का संगठन बनाना में जातीय समीकरण और नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपने कोई कोताही नहीं बरती, लेकिन महिलाओं की भागीदार पर विशेष फोकस नहीं किया गया। 32 जिलाध्यक्षों की लिस्ट में सिर्फ एक महिला का नाम है। उनकी सिफारिश कुमारी सैलजा द्वारा की गई थी। कांग्रेस ने हरियाणा में 10- ओबीसी, 6- जाट, 5- एससी, 3- पंजाबी, 2-ब्राह्मण, 2- राजपूत, 2 वैश्य, 1- मुस्लिम और 1 जट सिख को जिलाध्यक्ष बनाया है।
ये भी पढ़ें-एक कहानी आजादी की: ऐसा गांव जहां आजादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा, इतिहास जानकर कांप उठेगी रूह
गौरतलब है कि हरियाणा कांग्रेस में दो पावर सेंटर हैं। पहला भूपेंद्र हुड्डा तो दूसरा कुमारी सैलजा गुट का है। दोनों ही नेताओं की खींचतान की वजह से हरियाणा में संगठन नहीं बन पा रहा था। हालांकि राहुल गांधी ने हरियाणा में चुनावी हार के बाद दोनों नेताओं से नाराज थे। इसलिए उन्होंने पहले हुड्डा-सैलजा को सिफारिश न करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद भी दोनों नेताओं को जिलाध्यक्षों की निुयक्ति में ध्यान रखा गया। लिस्ट में दोनों गुटों का दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकता है। हुड्डा खेमे के 15 नाम बताए जा रहे हैं तो वहीं सैलजा गुट के 12 नाम बताए जा रहे हैं। 1-2 जगह पर सुरजेवाला और कैप्टन अजय यादव के करीबियों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। खास बात यह है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह को तरजीह नहीं दी गई है।