गोवा नाइट क्लब हादसा
Goa Club Fire News: गोवा के एक क्लब में लगी भीषण आग की घटना को अब करीब एक महीना हो चुका है, जिसमें 25 लोगों की जान चली गई थी। इस हादसे के बाद प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। अब इस मामले की मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट सामने आ चुकी है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस पूरे मामले में सबसे पहली जिम्मेदारी स्थानीय पंचायत की थी, क्योंकि क्लब को संचालन की अनुमति उसी ने दी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2024 में क्लब का ट्रेड लाइसेंस एक्सपायर हो चुका था, फिर भी पंचायत ने उस स्थान को सील नहीं किया। हालांकि, पंचायत की ओर से डिमोलिशन (तोड़फोड़) के आदेश जरूर जारी किए गए थे, लेकिन अगर वह चाहती तो अदालत के फैसले से पहले ही कार्रवाई कर सकती थी।
अधिकारी ने यह भी बताया कि यह प्रॉपर्टी 1996 से यहां मौजूद है और यहां पहले भी दो रेस्टोरेंट चल चुके थे। पंचायत स्तर पर यह एक सिस्टमैटिक फेलियर (संविधानिक विफलता) का मामला है। अधिकारी ने यह सवाल भी उठाया कि तमाम शिकायतों के बावजूद क्लब को ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) कैसे दिया गया।
पहले ही कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि स्थानीय पंचायत ने इस क्लब को अपनी ओर से कुल सात मंजूरियां दी थीं, जिनमें ट्रेड लाइसेंस और फूड सेफ्टी लाइसेंस भी शामिल थे। जांच समिति ने ज्यादातर दोष पंचायत पर ही मढ़ा है, हालांकि कुछ सरकारी विभागों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। जांच समिति को यह भी पता चला है कि नो-पुलिस वेरिफिकेशन जैसे जरूरी दस्तावेजों को फर्जी तरीके से जमा किया गया था। यह दस्तावेज़ सौरव और गौरव लूथरा ने कथित तौर पर जाली तरीके से बनवाए थे।
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जहां तक आग लगने के असली कारण का सवाल है, अब तक समिति किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। समिति का कहना है कि फॉरेंसिक जांच पूरी होने के बाद ही आग लगने के वास्तविक कारण का पता चल पाएगा।