सिडनी में गूंजेगी शोले की गूंज
Sholay Special Screen: भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक, ‘शोले’, अब अपने रिस्टोर्ड यानी साफ-सुधरे और नए रूप में तैयार वर्जन के साथ दोबारा परदे पर लौट रही है। यह नया वर्जन ऑस्ट्रेलिया के इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ सिडनी में अगले महीने अक्टूबर में प्रदर्शित किया जाएगा। आईएफएफएस 9 से 11 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें भारतीय सिनेमा के बेहतरीन कामों का जश्न मनाया जाएगा। इससे पहले ‘शोले’ के इस रिस्टोर्ड वर्जन का वर्ल्ड प्रीमियर इस महीने की शुरुआत में टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ था।
‘शोले’ को 4K क्वालिटी में सावधानी और विशेषज्ञता के साथ रिस्टोर किया गया है। इस प्रक्रिया को फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने सिप्पी फिल्म्स के साथ मिलकर अंजाम दिया। रिस्टोरेशन में कई साल लगे। टीम को लंदन में फिल्म का दुर्लभ कलर रिवर्सल प्रिंट मिला और मुंबई से कैमरा नेगेटिव्स और लंबे समय से खोए हुए डिलीट किए गए सीन भी प्राप्त हुए।
फेस्टिवल की निदेशक मीतू भौमिक लांगे ने कहा कि सिडनी में ‘शोले’ को उसके असली रूप में दिखाना गर्व की बात है। यह सिर्फ एक क्लासिक फिल्म की वापसी नहीं है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक इतिहास का भी अहम हिस्सा है। जब दर्शक फिल्म को उसके ओरिजिनल अंत के साथ देखेंगे, तो यह अनुभव और भी खास होगा। इससे निर्देशक की मूल कल्पना का सम्मान होगा और भारतीय सिनेमा की विविधता दुनिया के सामने आएगी।
‘शोले’ को 1975 में रिलीज किया गया था। इसकी कहानी जय और वीरू नामक दो अपराधियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें एक रिटायर्ड पुलिस अफसर ठाकुर बलदेव सिंह, खतरनाक डाकू गब्बर सिंह को पकड़ने के लिए बुलाता है। फिल्म में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन ने वीरू और जय की भूमिकाएं निभाईं, जबकि हेमा मालिनी और जया भादुरी ने बंसती और राधा का किरदार निभाया। फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के रामनगर की चट्टानी जगहों पर हुई थी और इसे बनाने में करीब ढाई साल लगे।
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जब पहली बार रिलीज हुई, तब आलोचकों ने नेगिटिव प्रतिक्रिया दी थी और बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत धीमी रही। लेकिन समय के साथ दर्शकों की जुबानी तारीफ ने इसे एक बड़ी हिट बना दिया। यह फिल्म मुंबई के मिनेर्वा थिएटर में लगातार पांच साल तक चली और विदेशों में भी, खासकर सोवियत संघ में, इसे खूब सराहा गया।