लोक गायिका शारदा सिन्हा
मुंबई: भोजपुरी लोक गायिका शारदा सिन्हा छठ के पर्व पर लोगों को अलविदा कर चली गईं। उन्होंने 72 साल की उम्र में 05 नवंबर को अंतिम सांस ली। शारदा सिन्हा की मधुर आवाज लोगों का मनोरंजन करती थी। उन्होंने छठ पूजा पर कई लोक और पारंपरिक गीत गाए हैं। भोजपुरी से लेकर बॉलीवुड और मगध में भी उन्होंने गाने गाए हैं। उनके गानों के बिना छठ पूजा अधूरी होती है। लेकिन उनका शुरुआती जीवन इतना आसान नहीं था। गांव वालों से लेकर परिजनों तक ने उनके संगीत की आलोचना की थी। उनके पति और पिता ने उनका पूरा साथ दिया लेकिन उनकी सास इस सफर में उनके साथ नहीं थी।
शारदा सिन्हा का पहला गाना साल 1971 में रिकॉर्ड किया गया था। एक इंटरव्यू के दौरान शारदा सिन्हा ने बताया कि शादी के बाद उनके संगीत क सफर मुश्किलों भरा रहा। उनकी सास और अन्य लोगों को उनका गाना गाना पसंद नहीं था। जिसकी वजह से उनकी सास ने कई दिनों तक खाना भी छोड़ दिया था। शारदा सिन्हा ने बताया कि बचपन से लेकर बड़े होने तक भी उन्हें संगीत के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। उनके ससुर ने भी उनका काफी साथ दिया लेकिन उनके परिवार और गांव के कुछ लोग इस बात का विरोध करते थे। उन्होंने बताया कि गाने के अलावा वह मणिपुरी डांस भी सीखती थी। शारदा के अनुसार अगर उनके पिता नहीं होते तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ पातीं।
शारदा सिन्हा ने बताया कि शादी के बाद उनके पति ने उनका काफी साथ दिया था। लेकिन उनकी सास और बाकी घर वाले इसके खिलाफ थे। उन्होंने बताया कि उनका गाना गाना सास को बिल्कुल नहीं पसंद था इसकी वजह से तीन चार दिन तक खाना नहीं खाया था। लेकिन उनके ससुर को कीर्तन पसंद था। जिसकी वजह से वह शारदा के भजन गानों को बढ़ावा देते थे। शारदा सिन्हा ने बताया कि जब उन्हें ससुर को पता चला कि उन्हें मौका मिल रहा है, तो उन्होंने कहा कि सास खाना खाए या नहीं पर शारदा को मौका मिल रहा है तो वहां जाना चाहिए।
बता दें कि शारदा सिन्हा ने मगध महिला कॉलेज और प्रयाग संगीत समिति से संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी की उपाधि हासिल की। उन्हें बिहार कोकिला कहा गया क्योंकि उनकी आवाज बहुत ही सुरीली थी। इसके बाद उन्होंने साल 1989 में “मैंने प्यार किया” में कहे तोसे सजना गाना गाया जिसके लिए उन्हें केवल 76 रुपए मिले थे। इसके अलावा उन्होंने हम आपके हैं कौन में गाना गाया और फिल फिल्मी गानों से दूरी बना ली। उन्होंने गैंग ऑफ वासेपुर में तार बिजली से पतले गाना गया।
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शारदा सिन्हा को 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण सम्मान भी मिला। जिसके बाद 2018 में वह मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से ग्रसित हो गईं और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनकी आवाज आज भी हमारे बीच मौजूद है।