राजपाल यादव से नवभारत की एक्सक्लूसिव बातचीत
मुंबई: राजपाल यादव फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ में अपने छोटा पंडित के कॉमिक कैरेक्टर में लौट रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि ‘फिल्म का पहले दो पार्ट हिट रहे हैं। आप पंडित के किरदार में लौट रहे हैं। इस बार आपके रोल में कितना बदलाव देखने को मिलेगा। तो उन्होंने कहा, हमारा भूल भुलैया का सफर बेहद लाजवाब रहा है। मैं बताना चाहूंगा कि मेरा पंडित का किरदार भारतीय संस्कृति के हजारों सालों का निर्मित किरदार है। ये एक विदूषक के समान है जो राजा के दरबार में हमेशा अच्छी और बुरी, दोनों ही बातें कर लेता था। वो एक श्रेष्ठ समाज का श्रेष्ठ कलाकार है।
राजपाल ने बताया, जब पहले पार्ट में प्रियदर्शन साहब ने छोटा पंडित के बारे में मुझे बताया तो मुझे अहसास हुआ जैसे वो एक विदूषक है और क्योंकि वो एक पौराणिक किरदार के समान है, मैंने उसे आज के युग के अनुसार तैयार करके पेश किया। ये किरदार ऐसा है जिसने फिल्म में सबसे पहले भूतनी को देखा है और वो बता नहीं पा रहा वो कैसी है। तो पहले पार्ट में वो पानी से बचने के लिए सिंदूर से नहाता है, दूसरे में वो बिजली से बचता है और तीसरे पार्ट में वो चंधन धारण करते नजर आएगा। अब चंदन कैसा होता है? जंगल में रहता है जिसके भीतर एक शीतलता होती है। इसका अर्थ ये है कि किरदार के भीतर कितनी भी जटिलता है वो भीतर से शीतल है जो पूरा दिन कार्टून बने घूमता रहता है। ये आईडिया और सब कुछ हमारे निर्देशक अनीस बज्मी का सुझाव है।
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इतने साल से कॉमेडी कर रहे हैं क्या आपको लगता है कि लोगों को हंसाना मुश्किल काम है
मैं इसे इतना बड़ा सौभाग्य मानता हूं क्योंकि मनोरंजन एक विज्ञान है और फिर चाहे वो कथाकार हो, संगीतकार, चित्रकार हो, पत्रकार या फिर कलाकार। ये सभी अपने प्रकृति के बेहद करीब रहने वाले लोग हैं। साल 2000 जब शुरू हुआ तब 10 चैनल थे, फिर 200 हुए और अब तो 1000 चैनल हो गए हैं। इन 25 सालों में आपने देखा होगा रोमांटिक फिल्में पहले अधिक बनती थी जैसे ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, ‘दिल तो पागल है’ और अन्य कई। फिर साल 2000 का दौर आया तो ‘सत्या’ और ‘शूल’ जैसी थोड़ी गंभीर फिल्में आने लगी। इसके बाद रियलिटी बेस्ड सिनेमा का दौर आया। इसके बाद प्रियदर्शन से लेकर डेविड धवन जैसे लोगों ने आकर कॉमेडी फिल्में बनाना शुरू की। सभी तरह के कलाकार फिल्मों में कॉमेडी करने लगे। ऐसे में इन 25 साल में मुझे एक अच्छे कॉमेडी एक्टर के रूप में पहचान मिली तो मेरे लिए तो ये एक बड़ा चैलेंज था। मेरे 500 जन्म भी ईश्वर का आभार प्रकट करने के लिए कम होंगे। इतने कॉमेडी करने वालों में ईश्वर ने मुझे इतना ऊपर रखा।
क्या सोशल मीडिया पर फैन फॉलोइंग के आधार पर फिल्मों में काम मिलता है
देखिये अगर आपकी कला को लेकर आपकी नींव अच्छी है तो आपका भविष्य भी अच्छा ही होगा। सोशल मीडिया के आधार पर भले ही आपको काम मिल जाएगा लेकिन परफॉर्म आपको करना है। कहते हैं न स्टेडियम में जो ताली से उड़ा नहीं और गाली से उखड़ा नहीं, वही सच्चा एक्टर। तो कभी ताली कभी गाली लेकिन अगर आप अखाड़े में बने रहना जानते तो फिर आप किसी भी माध्यम से एंट्री करें, लेकिन आपको खुद को साबित करना होगा। मुझे इंडस्ट्री में इंट्रोड्यूस करने वाला मुझसे एक्टिंग नहीं करवा सकता, वो मुझे स्वयं ही करना होगा। मुझे तो एक जन्म में 500 जीवन जीने का मौका मिला है। मैं खुद अपने सफर का गवाह हूं।
आपको एक निर्माता के रूप में शायद उतनी सफलता नहीं मिली
अभी ऐसा हुआ ही क्या है जिसके कारण मुझे कुछ झेलना पड़ा हो। अभी तो शुरुआत है और ऐसा कौनसा एक्टर है दुनिया में जिसका प्रोडक्शन हाउस नहीं है। मैंने अपने लिए कभी कोई प्रोडक्शन नहीं खोला नहीं और ना खोलूंगा। लेकिन दुनिया के लिए एक प्रोडक्शन हाउस से मैं जुड़ जाऊं जहां कई सारे लोगों को रोजी-रोटी मिले तो उसके लिए मैं हमेशा आगे खड़ा रहूंगा। जब हमने फिल्म प्रोड्यूस की तो जाकर लोगों को पता चला। देखिये, घाटा, मुनाफ़ा और जटीलताएं तो चलती रहती हैं लेकिन जहां 50-100 लोगों का काम जुड़ा हो, नाम जुड़ा हो और कोई दाम जुड़ा हो तो मैं ऐसे प्रोडक्शन हाउस से हमेशा जुड़ना चाहूंगा।