पद्मिनी ने भारत-चीन युद्ध में निभाया था देश का फर्ज
मुंबई: भारतीय सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री पद्मिनी सिर्फ एक कलाकार नहीं थीं, बल्कि एक प्रेरणा थीं। 12 जून 1932 को तिरुवनंतपुरम में जन्मी पद्मिनी को भारतीय फिल्मों की पहली प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उन्होंने न केवल तमिल, मलयालम, तेलुगु और रूसी फिल्मों में अभिनय किया, बल्कि हिंदी सिनेमा में भी अपनी छाप छोड़ी।
पद्मिनी को ‘त्रावणकोर सिस्टर्स’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें उनकी बड़ी बहन ललिता और छोटी बहन रागिनी शामिल थीं। इस तीन बहनों की जोड़ी को डांस और अभिनय के लिए खूब सराहना मिली। पद्मिनी एक दक्ष भरतनाट्यम डांसर भी थीं और उन्होंने मंच से लेकर फिल्मों तक अपने हुनर का जलवा बिखेरा।
पद्मिनी ने 1948 में फिल्म ‘कल्पना’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा और फिर ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘काजल’, ‘अफसाना’, और ‘राजतिलक’ जैसी फिल्मों में यादगार भूमिकाएं निभाईं। राज कपूर, देव आनंद, एम. जी. रामचंद्रन और शिवाजी गणेशन जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला।
वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, जब देश कठिन दौर से गुजर रहा था, पद्मिनी ने सीमा पर जाकर भारतीय सेना के जवानों के बीच डांस परफॉर्मेंस देकर उनका मनोबल बढ़ाने का काम किया। उनका यह योगदान आज भी याद किया जाता है। सिर्फ सिनेमा ही नहीं, पद्मिनी ने राजनीति में भी कदम रखा। उन्होंने 1966 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था।
ये भी पढ़ें- ‘ये है मोहब्बतें’ फेम शिरीन मिर्जा बनीं मां, चार साल बाद घर आई खुशियों की सौगात
अभिनय, नृत्य और सामाजिक योगदान के लिए पद्मिनी को कई पुरस्कार मिले, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड (1966) भी शामिल है। 1989 में उन्होंने फिल्म ‘मोहब्बत का पैगाम’ से निर्देशन की शुरुआत की। 24 सितंबर 2006 को चेन्नई में उनका निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान भारतीय संस्कृति और सिनेमा में हमेशा अमर रहेगा।