बिग बी ने केबीसी-17 की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा भावुकता से भरा ब्लॉग पोस्ट
Amitabh Bachchan, Kbc Season 17: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन फिल्मों के बादशाह तो हैं ही, साथ ही साथ वह अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए आम लोगों के बीच खास रुप से जुड़े रहते हैं। वह अपने खास विचारों के लिए हमेशा से जाने जाते रहे हैं। मंच, टीवी, भारतीय सिनेमा की बड़ी स्क्रीन, ब्लॉग पोस्ट हर जगह बी बिग के नायाब विचार छाए रहते हैं।
हर माध्यम से वह अपने दिल की बात आम लोगों तक समय-समय पर पहुंचाते रहते हैं और उनके दिल में खास जगह बना जाते हैं। इनके लिखे शब्द हमेशा सीधे दिल को छूते हैं। एक बार फिर बिग बी अपने ब्लॉग को लेकर देश के लोगों के साथ-साथ युवाओं के बीच खास चर्चा में बने हुए हैं।
हाल ही में उन्होंने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर ‘कौन बनेगा करोड़पति 17’ के सेट से कई तस्वीरें साझा कीं। इन तस्वीरों में बिग बी कैमरे के सामने अपने खास अंदाज में मुस्कुराते नजर आ रहे हैं।
उनके चेहरे की चमक यह साफ दिखाती है कि, वे आज भी अपने काम को पूरी लगन और मेहनत से करते हैं। इस ब्लॉग की शुरुआत करते हुए बिग बी ने लिखा, ”कभी भी किसी भी चीज को हल्के में न लें।”
अमिताभ ने एक विशेष स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि, अक्सर लोग अधिकार या ताकत के आगे झुक जाते हैं, और सही फैसला लेने में हिचकिचाते हैं। ऐसे में अगर सही मायने में किसी विशेष स्थिति के आगे झुका जाए तो यह ठीक भी होता है, लेकिन अक्सर लोग खुद को ऐसे हालात में पाते हैं, जहां वे सही को लेकर असमंजस में होते हैं। और फिर वे बस किनारे बैठे रहते हैं।”
इन सारी परिस्थितियों से लड़ने के लिए बिग बी एक सीधा और सच्चा रास्ता सुझाते हैं। वह अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘मधुशाला’ का जिक्र करते हुए समझाने की कोशिश करते हैं कि, दुनिया चाहे कितने भी रास्ते बताए, लेकिन अगर आप एक राह पकड़कर उस पर लगातार चलते रहो, तो मंजिल जरुर मिलती है।
हो सकता है कि आपके असमंजस वाली स्थिति में “अलग-अलग लोग विभिन्न रास्ते बताएं। लेकिन आप एक राह पकड़कर चलते चलो, आपको आपकी मधुशाला रुपी मंजिल अवश्य मिलेगी। मंजिल तक पहुंचने का सिर्फ एक ही रास्ता है, लगातार चलते रहना। यही लगन और धैर्य सफलता की असल कुंजी है।
यह भी पढ़ें: ‘अपने 2’ की स्क्रिप्ट सुनकर भावुक हुए धर्मेंद्र, सनी-बॉबी संग फिर दिखेगा देओल परिवार का जादू
बॉलीवुड के बादशाह अंत में भावुक होते हुए लिखते हैं, “कभी-कभी जो मिलते हैं, छोड़ते नहीं, तो क्या किया जाए?” यानी कुछ रिश्ते, यादें या लम्हे ऐसे होते हैं, जो हमें छोड़ते ही नहीं, और फिर हम मजबूरी में उनसे विदा लेते हैं।
(एजेंसी इनपुट)