मुनव्वर राणा (फोटो- सोशल मीडिया)
Munawwar Rana Birth Anniversary Special Story: उर्दू और हिंदी साहित्य के दिग्गज कवि मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। उनका परिवार विभाजन के बाद भारत में ही रहा, जबकि उनके अधिकांश रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए। कुछ समय बाद उनका परिवार कोलकाता शिफ्ट हो गया और राणा का बचपन इसी शहर में बीता। आगे चलकर वे लखनऊ आ गए, जिसने उनकी साहित्यिक यात्रा को नई दिशा दी।
मुनव्वर राणा हिंदी, उर्दू और अवधी के उन चुनिंदा नामों में शामिल रहे, जिन्होंने अपनी सरल, भावनात्मक और दिल को छू लेने वाली रचनाओं से करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनकी मशहूर कविता ‘मां’ आज भी मुशायरों और मंचों पर सबसे अधिक पढ़ी और सुनी जाने वाली रचनाओं में से एक है। उनका मानना था कि साहित्य आम लोगों की भाषा में होना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति आसानी से उससे जुड़ सके।
साहित्य की दुनिया में उनके योगदान को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 2012 में उन्हें माटी रतन सम्मान, और 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा वह अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार, और सरस्वती समाज पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके थे। हालांकि, साहित्य अकादमी पुरस्कार उन्होंने बाद में विरोधस्वरूप लौटा दिया था, जिससे पूरे देश में बहस छिड़ गई थी।
जहां एक ओर मुनव्वर राणा की रचनाएं लोगों को जोड़ती रहीं, वहीं उनकी राजनीतिक और सामाजिक टिप्पणियों ने उन्हें विवादों में भी घेर दिया। राम मंदिर फैसले पर दी गई टिप्पणी ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनका बयान था कि अगर योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने तो वे उत्तर प्रदेश छोड़कर कोलकाता चले जाएंगे।
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किसान आंदोलन के दौरान संसद को गिराकर खेत बनाने संबंधी उनके एक ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं। आलोचनाओं और सवालों के बीच भी मुनव्वर राणा अपनी स्पष्टवादी शैली के लिए जाने जाते रहे। अपनी कविताओं, शायरी और सरल भाषा के कारण मुनव्वर राणा आज भी साहित्यप्रेमियों के बीच अमर हैं। उनकी रचनाएं सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावनाओं का समुद्र थीं, जिन्हें लोग आने वाले वर्षों तक याद रखेंगे।