खय्याम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज संगीतकार खय्याम का जन्म 18 फरवरी 1927 को हुआ था। खय्याम ने अपनी कला से संगीत के पौधे को सारी उम्र सींचा। खय्याम को 2 बार फिल्म फेयर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। खय्याम को साल 2011 में भारत सरकार की तरफ से संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए पद्मभूषण अवॉर्ड से भी नवाजा गया था।
खय्याम ने बड़े होकर फौज ज्वाइन कर ली। खय्याम फौजी बने और बंदूक थामे जंग की तैयारी करते रहे। हालांकि खय्याम के अंदर संगीत के सुर खलबलाने लगे। इसके बाद खय्याम ने अपनी लाइफ का बड़ा फैसला लिया, जिससे उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। खय्याम ने फौज छोड़कर मुंबई का रुख किया और फिल्मों में काम करने लगे।
बॉलीवुड के पहले मशहूर पंजाबी संगीतकार बाबा चिश्ती से खय्याम ने संगीत सीखा। इसके बाद उन्होंने अपने सुरों को धार देने लगे। इसके बाद साल 1948 में आई फिल्म ‘हीर-रांझा’ से अपना करियर शुरू करने का मौका मिला। इस फिल्म ने भले ही खय्याम को पॉपुलर नहीं बनाया, लेकिन मेकर्स ने उनके संगीत की साधना को पहचान लिया। इतना करने के बाद भी खय्याम को क्रेडिट नहीं मिला। इसके बाद खय्याम को फिल्मों में काम मिलने लगा।
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खय्याम के संगीत का जादू हर जगह चलने लगा। खय्याम की कला देखते ही सभी फिल्म मेकर उनके फैन हो गए। खय्याम भी फिल्मों के लिए गाने बनाने लगे और 1 के बाद 1 सुपरहिट गानों की लाइन लगा दी। साल 1981 में आई फिल्म ‘उमराव जान’ के गानों में बाजार में धूम मचा दी। इसके साथ ही इस फिल्म में रेखा ने कमाल की एक्टिंग की और पॉपुलर हो गईं। इस फिल्म से रेखा को पहचान मिली थी।
साल 2012 में मिर्ची म्यूजिक अवॉर्ड्स फंक्शन में रेखा ने खुद कहा कि खय्याम साहब ने ही मुझे सुपरस्टार बनाया है। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती भी रही है। खय्याम ने अपनी पूरी जिंदगी फौजी तेवर और जोगी स्वभाव के साथ जी है। खय्याम ने अपने 90वें जन्मदिन पर 10 करोड़ रुपयों की संपत्ति दान कर सभी को चौंका दिया था। आज भी खय्याम के गाने 50 साल बाद भी लोगों को खूब पसंद आते हैं। दर्जनों गानों का आज भी कोई तोड़ नहीं है।