जगजीत सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
Jagjit Singh Death Anniversary Special Story: जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। जगजीत सिंह ने अपनी मखमली आवाज और भावनाओं की गहराई से गजल को एक नया मुकाम दिया। उन्हें ‘गजल किंग’ कहा जाता है और उनके गीत आज भी हर दिल में जिंदा हैं। जगजीत सिंह का संगीत सफर राजस्थान की मिट्टी से शुरू हुआ। कम उम्र में उन्होंने शास्त्रीय संगीत की तालीम ली और अपनी प्रतिभा के दम पर मुंबई की चमक-दमक तक पहुंच गए।
1970 के दशक में, जब गजल सिर्फ एक खास वर्ग के लोगों तक सीमित थी, जगजीत और उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने इसे आम जनमानस तक पहुंचाया। उनकी जोड़ी ने ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ जैसे एल्बम के जरिए गजल को लोकप्रिय बनाया। इस एल्बम के गीत जैसे ‘बात निकलेगी तो’ और ‘रात भी नींद भी’ आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
जगजीत सिंह की खासियत थी उनकी सादगी और गीतों में छिपी भावनाएं। प्रेम, जुदाई, या जिंदगी की नश्वरता हर भावना उनके गीतों में साफ झलकती थी। कई लोग नहीं जानते हैं कि जगजीत सिंह ने बॉलीवुड में अपनी आवाज खारिज होने के बाद गजल की दुनिया में कदम रखा। 1960 के दशक में, जब वह जालंधर से मुंबई आए थे, तो बड़े संगीत निर्देशकों ने उनकी आवाज को ‘बहुत भारी’ या ‘फिल्मी गानों के लिए गंभीर’ कहकर रिजेक्ट कर दिया। अपने प्लेबैक सिंगर बनने के सपने को पाने में उन्हें निराशा मिली।
लेकिन जगजीत सिंह ने इसे अवसर में बदल दिया। उन्होंने और चित्रा सिंह ने विज्ञापन जिंगल्स बनाना शुरू किया, जिससे उनके दिन गुजरने लगे। बॉलीवुड के बहिष्कार ने उन्हें अपनी कला की दिशा बदलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने गजल को शास्त्रीय बंधनों से निकालकर सरल धुनों के साथ पेश किया। 1976 में ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ रिलीज हुई और यह भारत में गजल के इतिहास में एक परिवर्तनकारी मील का पत्थर बन गई।
जगजीत सिंह ने बॉलीवुड की ओर देखा और फिल्म जगत ने उन्हें सम्मान और पहचान दी। 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह ने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनकी गजलें और आवाज आज भी हर दिल में जीवित हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी असफलता ही सफलता की राह खोल देती है, और जादू सिर्फ आवाज में ही नहीं, हौसले में भी होता है।