Film Review: ‘मन्नू क्या करेगा’ की व्योम यादव और साची बिंद्रा की सादगी से बुनी खूबसूरत कहानी
Mannu Kya Karegga Review: संजय त्रिपाठी निर्देशित मन्नू क्या करेगा एक दिल छू लेने वाली सादगी भरी कहानी है। देहरादून में सेट यह फिल्म मन्नू यानी व्योम यादव की आत्म-खोज यात्रा को दिखाती है।
कहानी: मन्नू क्या करेगा? एक धीमी-धीमी चलने वाली लेकिन दिल में उतर जाने वाली कहानी है। देहरादून के कॉलेज में पढ़ने वाला मानव चतुर्वेदी उर्फ़ मन्नू यानी व्योम यादव हर चीज में अच्छा है। पढ़ाई, खेल, थिएटर, टेक्नोलॉजी, लेकिन दिशा को लेकर उलझा हुआ। इसी कॉलेज में आती है जिया यानी साची बिंद्रा, जिसका लक्ष्य साफ है हार्वर्ड या स्टैनफोर्ड।
दोनों की दोस्ती प्यार में बदलती है, लेकिन करियर को लेकर जिया को मन्नू का कन्फ्यूजन खलता है। खुद को साबित करने की कोशिश में मन्नू एक बड़ा झूठ गढ़ता है कि नथिंग नाम का फर्जी स्टार्टअप। झूठ पर टिके रिश्ते ज़्यादा देर चलते नहीं, और सच सामने आते ही सब बिखर जाता है। इसी मोड़ पर उसकी जिंदगी में आते हैं डॉन सर यानी विनय पाठक, जो उसे जापानी फिलॉसफी Ikigai से मिलवाते हैं और उसके असली सफ़र की शुरुआत होती है।
अभिनय: व्योम यादव ने मन्नू के किरदार को बड़ी ईमानदारी से जिया है। उनकी मासूमियत और कन्फ्यूजन असली लगते हैं। साची बिंद्रा जिया के रूप में आत्मविश्वासी और प्रेरणादायक दिखती हैं। विनय पाठक एक बार फिर दिल जीतते हैं कि प्रोफेसर डॉन के किरदार में वो हर कॉलेज स्टूडेंट का सपना लगते हैं। कुमुद मिश्रा और चारु शंकर माता-पिता के रूप में प्रभावी हैं। राजेश कुमार, बृजेंद्र काला, नमन गोर, आयत मेमन, डिंपल शर्मा और लवीना टंडन अपने-अपने किरदारों में पूरे खरे उतरते हैं।
फाइनल टेक: संजय त्रिपाठी का निर्देशन सरल लेकिन असरदार है। न फालतू का खिंचाव, न बनावटी ड्रामा बस सच्चाई और अपनापन। सिनेमैटोग्राफी देहरादून की खूबसूरती को जीवंत कर देती है, मानो आप वहीं हों। कहानी, अभिनय और तकनीक हर विभाग में टीम ने ईमानदारी से काम किया है। यही वजह है कि बिना बड़े नाम और बड़े बजट के भी फिल्म दिल जीत लेती है।
संगीत भी फिल्म की जान है। फना हुआ, हमनवा, तेरी यादें और टाइटल ट्रैक न सिर्फ़ कहानी से मेल खाते हैं बल्कि भावनाओं को और गहराई देते हैं। बैकग्राउंड स्कोर संतुलित और असरदार है।
Film review mannu kya karegga a beautiful story of simplicity and beautifully