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इमरजेंसी मूवी रिव्यू: आपातकाल के दौर को निष्पक्षता से पेश करती कंगना रनौत की ये फिल्म

साल 2019 में आई ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ के बाद अब कंगना रनौत के निर्देशन में बनी उनकी दूसरी फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म को देखने से पहले उनका ये रिव्यू जरूर पढ़ें।

  • By सोनाली झा
Updated On: Jan 17, 2025 | 10:03 AM

इमरजेंसी मूवी रिव्यू

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निर्देशक: कंगना रनौत
रनटाइम: 2 घंटे 28 मिनट
जॉनर: हिस्टोरिकल बायोग्राफिकल ड्रामा
रेटिंग: 3.5 स्टार्स

साल 2019 में आई ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ के बाद अब कंगना रनौत के निर्देशन में बनी उनकी दूसरी फिल्म ‘इमरजेंसी’ रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म को देखने से पहले उनका ये रिव्यू जरूर पढ़ें।

कहानी: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा 25 जून 1975 में लगाया गया ‘इमरजेंसी’ देश के सबसे मुश्किल दौर में से एक रहा है जहां इसे लोकतंत्र पर सीधे हमले के रूप में देखा जाता है। कंगना रनौत की ये फिल्म इतिहास के उन्हीं पन्नों की ओर हमें दुबारा लेट जाती है और उस पूरे घटनाक्रम तथा इंदिरा गांधी द्वारा किये गए कार्यों, उनके संघर्ष, उनके राजनीतिक दबदबे, उनका परिवार और विशेष रूप से पुत्र मोह और अंत में इं सबसे ऊपर उठकर देश हित का उनका विचार, इन सभी बातों को फिल्म में पेश किया गया है। कहानी की शुरुआत में दिखाया गया है कि किस प्रकार अपने पिता जवाहरलाल नेहरू से राजनीतिक जगत में प्रेरणा लेकर वे अपना सफर शुरू करती हैं और बांग्लादेश को आजाद करती हैं। इसके बाद वे एक-एक करके कई बड़े फैसले लेती हैं और साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के गौरव को मजबूत करने का कार्य करती हैं।

अभिनय: कंगना रनौत यहां इंदिरा गांधी की भूमिका में छा गई हैं। उनके बोलचाल, उनका लुक उनकी डायलॉग डिलीवरी, ये सभी बेहद शानदार हैं और वे हुबहू पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह लगती हैं। खास बात ये है कि अपनी बीती कुछ फिल्मों की विपरीत कंगना ने अपने रोल में अपनी पहचान को परे रखकर उतना ही परफॉर्म किया जितना उनके किरदार को आवश्यक है जो कि सराहनीय है। उनके बाद फिल्म में संजय गांधी के किरदार में नजर आए विषाक नायर को काफी बढ़िया स्क्रीन स्पेस दिया गया है और वे अपने रोल में पूरी तरह से ढले हुए नजर आए। फिल्म में श्रेयस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की भूमिका निभाई है, हालांकि वे हमें अपने रोल में उतना इम्प्रेस नहीं करते। बात करें अनुपम खेर की तो जेपी नारायण की भूमिका में वे बढ़िया अभिनय करते दिखे। वहीं जगजीवन राम की भूमिका में सतीश कौशिक को देखकर यकीन कर पाना मुश्किल है इतने बेहतरीन कलाकार अब इस दुनिया में नहीं।

म्यूजिक: फिल्म में कोई ऐसा थीम सॉन्ग नहीं लेकिन कुछ इमोशनल और मोटिवेशन से भरे सीन्स में चंद गाने हैं, जो फिल्म देखने के समय तक ही आपको याद रहेंगे। इसी के साथ फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक पर और भी बेहतर ढंग से काम किया जा सकता था।

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फाइनल टेक: सबसे पहले इस फिल्म की खूबियों की बात करें तो कंगना और फिल्म की अन्य कास्ट ने अपनी एक्टिंग से इस कहानी में जान फूंक दी है। इसी के साथ कहानी को बेहद न्यूट्रल ढंग से पेश किया गया है और कहीं से भी ये नहीं लगता कि इस कहानी की निर्देशक कंगना हैं जो कि एक अभिनेत्री ही नहीं बल्कि बीजेपी सांसद भी हैं। कांग्रेस परिवार की सबसे सशक्त महिला रहीं इंदिरा गांधी को उन्होंने पूरे सम्मान के साथ पर्दे पर उतारा है। बात करें फिल्म में नजर आई कमियों को तो इसके कई जगहों पर ये हमारे जज्बातों को जगाने में कमजोर नजर आती हैं। फिल्म को 2 घंटे 28 मिनट में समेटा गया है जिसके चलते कहानी के कई अहम सीन्स जैसे सिख दंगे और अन्य चीजों को बेहद कम दृश्यों में दर्शाया गया है। ओवरऑल बात करें तो इतिहास से जुड़ी कहने को बेहद सच्चाई के साथ पेश किया गया है। अगर आप भी ऐसी फिल्में देखने के शौक़ीन हैं तो आपको ये फिल्म बेहद पसंद आएगी।

Emergency movie review kangana presents the emergency period impartially

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Published On: Jan 17, 2025 | 10:03 AM

Topics:  

  • Anupam Kher
  • Kangana Ranaut

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