धर्मेंद्र (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Dharmendra Bollywood Journey: ‘बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना’ और ‘एक एक को चुन चुन के मारूंगा’ ये डायलॉग्स सुनते ही धर्मेंद्र का दमदार चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। हिंदी सिनेमा के सबसे करिश्माई और दमदार अभिनेताओं में से एक, धर्मेंद्र आज भी लाखों दिलों पर राज करते हैं। उनका अभिनय, डायलॉग डिलीवरी, एक्सप्रेशन और एक्शन सब कुछ आज भी उतना ही असरदार है जितना 60 के दशक में हुआ करता था।
दरअसल, धर्मेंद्र का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में हुआ था। वे एक जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिनका फिल्म इंडस्ट्री से कोई दूर-दूर तक संबंध नहीं था। बचपन से ही उन्हें फिल्मों का शौक था, और जब उन्होंने सुरैया की फिल्म ‘दिल्लगी’ देखी, तभी तय कर लिया कि वो भी अभिनेता बनेंगे।
उनकी किस्मत तब बदली जब उन्होंने ‘नई प्रतिभा की खोज’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत गए। इसी जीत ने उन्हें मुंबई तक पहुंचाया, जहां से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई। साल 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू किया।
शुरुआती दिनों में उन्होंने ‘शोला और शबनम’, ‘अनपढ़’ और ‘बंदिनी’ जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन असली पहचान उन्हें 1966 की फिल्म ‘फूल और पत्थर’ से मिली। इस फिल्म की अपार सफलता ने धर्मेंद्र को रातों-रात स्टार बना दिया और उन्हें मिला उपनाम “ही-मैन ऑफ इंडियन सिनेमा”। फिल्म में उनका एक्शन, व्यक्तित्व और स्क्रीन प्रेजेंस दर्शकों के बीच एक नई दीवानगी लेकर आया।
इसके बाद धर्मेंद्र ने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं। जिसमें शोले, चुपके चुपके, अनुपमा, सत्यकाम, राजा जानी और यादों की बारात जैसी फिल्मों ने उन्हें बहुमुखी अभिनेता साबित किया। हालांकि, धर्मेंद्र ने न सिर्फ एक्शन बल्कि कॉमेडी और रोमांस में भी अपनी अलग पहचान बनाई। 6 दशक से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है।
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फिलहाल आज भी उनकी एनर्जी, सरलता और अभिनय की चमक वैसी ही बरकरार है जैसी शुरुआत के दिनों में थी। धर्मेंद्र सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग मान जाते हैं और फैंस आज भी उनकी फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं।