वीर दास ( सो. सोशल मीडिया)
मुंबई: कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 में इस बार बॉलीवुड सितारों के साथ-साथ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स ने भी रेड कार्पेट पर जलवा बिखेरा। जहां एक तरफ कुछ लोग इसे भारतीय प्रतिनिधित्व का विस्तार मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ गई है कि क्या डिजिटल क्रिएटर्स को ऐसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह मिलनी चाहिए। इसी बहस के बीच मशहूर कॉमेडियन और एक्टर वीर दास ने बॉलीवुड की सोच पर सवाल उठाते हुए बेबाक बयान दिया है।
वीर दास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए उन फिल्मी सितारों की आलोचना की जो इंफ्लुएंसर्स को कान्स जैसे फेस्टिवल में देखकर असहज हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो सितारे पब्लिकली इंफ्लुएंसर्स की आलोचना करते हैं, वही लोग अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए इन्हीं के पॉडकास्ट और इंस्टाग्राम लाइव पर नजर आते हैं। वीर ने तंज कसते हुए कहा कि अगर बॉलीवुड को इंफ्लुएंसर कल्चर से इतनी ही समस्या है, तो उन्हें खुद भी इसका हिस्सा बनने से परहेज़ करना चाहिए।
इस साल नैंसी त्यागी, पारुल गुलाटी, विशाल सिंह और अनुष्का सेन जैसे कई लोकप्रिय डिजिटल सितारे कान्स के रेड कार्पेट पर दिखाई दिए। नैंसी त्यागी तो खासतौर पर अपने खुद के डिज़ाइन किए हुए आउटफिट को लेकर चर्चा में रहीं। ऐसे में कई लोगों ने सवाल उठाए कि कान्स फिल्म फेस्टिवल का फोकस सिनेमा है, न कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसिंग।
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हालांकि, एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो मानता है कि डिजिटल क्रिएटर्स आज की जनरेशन की आवाज़ हैं और उनकी मौजूदगी से भारतीय संस्कृति व स्टाइल को नई पहचान मिल रही है। वीर दास की इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर काफी सराहा गया है। उन्होंने इस मुद्दे को सिर्फ एक बहस नहीं, बल्कि एक सोच बदलने की कोशिश के रूप में पेश किया। आज जब फिल्मों और डिजिटल कंटेंट की सीमाएं धुंधली हो चुकी हैं।