कुंभ के मेले का बॉलीवुड में खूब हुआ इस्तेमाल
मुंबई: महाकुंभ 2025 के आयोजन में बॉलीवुड की हस्तियां भी प्रयागराज पहुंची है। जिसमें से कई लोगों ने महाकुंभ के अवसर पर पवन गंगा में डुबकी भी लगाई है। कुछ लोगों ने वहां पूजा अर्चना की। लेकिन कुंभ के मेले और बॉलीवुड की फिल्म का चोली दामन का साथ रहा है। जब भी फिल्म में दो भाइयों के बिछड़ने की कहानी दिखाई जाती थी, तो कुंभ के मेले का जिक्र जरूर किया जाता था। ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में हम बात कर रहे हैं।
फिल्मी कहानी में भाइयों का कुंभ के मेले में बिछड़ना बहुत आम है और फिल्म के आखिर में उनकी मुलाकात भी होती है। लेकिन असल जिंदगी की अगर बात करें तो ऐसा कम ही होता है।
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1975 में फिरोज खान और हेमा मालिनी की फिल्म धर्मात्मा रिलीज हुई थी। इस फिल्म की कहानी में हेमा मालिनी का परिवार कुंभ के मेले में बिछड़ जाता है। फिल्म में एक डायलॉग है कि इस मेले को लेकर बेहद मशहूर हुआ था। डायलॉग यह था कि मेला तो बस नाम है यहां हर कोई अपनी किस्मत का सौदा करने आया है।
मशहूर डायरेक्टर महबूब खान की फिल्म तकदीर में भी कुंभ के मेले की कहानी को दिखाया गया। यह बॉलीवुड की शुरुआती फिल्मों में से एक है। जिसमें कहानी के दौरान कुंभ के मेले का इस्तेमाल हुआ। इस फिल्म में बद्री प्रसाद के बेटे पप्पू और जमुना प्रसाद की बेटी श्याम कुंभ के मेले में खो जाते हैं और इन्हीं दोनों के फिल्म की कहानी को दिखाया गया है।
सन 1971 में मेला नाम की एक फिल्म आई थी। इस फिल्म में भी कुंभ के मेले की कहानी को दिखाया गया। इस फिल्म में रघुनाथ और शंकर नाम के दो दोस्त हैं, जो कुंभ के मेले में भीड़ में खो जाते हैं और इन्हीं किरदारों के आसपास कहानी घूमती है। फिल्म के आखिर में यह दोनों मिल जाते हैं। इस फिल्म को काफी पसंद किया गया था। फिल्म की कहानियों में कुंभ के मेले में दो भाइयों या फिर दो दोस्तों के बिछड़ने की कहानी को बॉलीवुड में बेहतरीन तरीके से पेश किया गया और इस तरह की कहानी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब होती थी।