अर्जुन कपूर भूमि पेडनेकर और रकुल प्रीत सिंह (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर, भूमि पेडनेकर और रकुल प्रीत सिंह स्टारर की रोम-कॉम फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ काफ वक्त से सुर्खियों में थी। वहीं फिल्म आज यानी 21 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ऐसे में अगर आप मुदस्सर अजीज के निर्देशन में बनी फिल्म को सिनेमाघरों में जाकर देखने का मन बना रहे हैं तो पहले यहां इसका रिव्यू जरूर पढ़ लें….
फिल्म की कहानी
मेरे हसबैंड की बीवी फिल्म की शुरुआत ऐसे होती है कि दिल्ली में रहने वाला अंकुर चड्ढा (अर्जुन कपूर) अपनी पत्नी प्रभलीन चड्ढा से आतंकित नजर आता है। जिसके बाद
अर्जुन का भूमि से तलाक हो जाता है और उनकी जिंदगी में रकुल आ जाती हैं। वहीं फिर अंकुर अपने पारिवारिक बिजनेस के सिलसिले में ऋषिकेश आता है वहां कॉलेज के दिनों में आकर्षण का केंद्र रहीं अंतरा खन्ना (रकुल प्रीत सिंह) से उसकी मुलाकात होती है और फिर लव ट्रायंगल देखने को मिलता है।
कैसी है फिल्म
हालांकि, ये एक अच्छी टाइम पास फिल्म है। फर्स्ट हॉफ ठीक ठाक सा है लेकिन सेकेंड हॉफ में रकुल और भूमि के लड़ाई के सीन काफी मजेदार हैं। शुरू में आपको लगता है कि फिल्म आगे नहीं बढ़ रही, मुद्दे पर नहीं आ रही और ये इस फिल्म की कमी है। फर्स्ट हाफ को लंबा खींचा गया है तो आप फर्स्ट हाफ के बाद थियेटर से न जाएं। सेकेंड हाफ देखें, कहीं कहीं फिल्म हंसाती है, कहीं कहीं बचकानी भी लगती है। लेकिन इस फिल्म में भी यही होता है कि कुल मिलाकर फिल्म ठीक ठाक बनी है।
फिल्म के स्टारकास्ट
बता दें, रकुल प्रीत सिंह ने सबसे अच्छा काम किया है। वो लगी भी काफी खूबसूरत हैं। लेकिन भूमि का काम अच्छा है, वो कहीं कहीं लाउड लगती हैं लेकिन उनका कैरेक्टर ही ऐसा है। रकुल और भूमि के सीन ही इस फिल्म की जान हैं और फिल्म को बचा ले जाते हैं। अर्जुन कपूर का काम अच्छा हैं, उन्होंने एक्सप्रेशन देने पर कड़ी मेहनत की हैष एक सीन में वो रकुल को इमोशनल होकर कहते हैं कि में कोई ट्रॉफी थोड़े हूं जो तुम दोनों लड़ रहीं हो। इस सीन में वो इंप्रेस करते हैं।
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इन सबके बीच हर्ष गुजराल को सस्ता विकी कौशल कहा जाता है, और छावा जिस तरह से चल रही है उस हिसाब से पालिका बाजार वाला विकी भी बवाल है और यहां हर्ष ने हंसने का काम अच्छे से किया है। आदित्य सील अच्छे लगे हैं। शक्ति कपूर, मुकेश ऋषि, अनीता राज का काम भी अच्छा है। इसके अलावा मुदस्सर अजीज का डायरेक्शन ठीक ठाक है और फर्स्ट हाफ को छोटा करते और रकुल भूमि के सीन बढ़ाते तो और मजा आता, लेकिन फिर भी वो एक टाइम पास फिल्म बनाने में कामयाब रहे हैं।