मुंबई: नासिक मध्य विधानसभा सीट बीजेपी के लिए काफी मायने रखती है। बीते 10 साल से इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है, लेकिन इस बार इस सीट पर बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है। नासिक मध्य विधानसभा सीट पांच अन्य सीटों के साथ नासिक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी को मिले अच्छे वोट की वजह से यह कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए यहां आसान नहीं होगा।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी यहां पर 20% के आसपास है। वहीं 20% के आसपास मुस्लिम वोटर हैं। मतलब 40 फीसदी की आबादी आरक्षित श्रेणी में आती है। 60 फीसदी सामान्य वोटर हैं। तो यहां जातीय समीकरण भी उम्मीदवारों के लिए अहम रोल तय करता है।
ये भी पढ़ें- नासिक पूर्व विधानसभा सीट: BJP का पलड़ा भारी
नासिक मध्य विधानसभा सीट का इतिहास
साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था। साल 2009 में नासिक मध्य विधानसभा सीट के लिए पहली बार हुए चुनाव में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने जीत हासिल की थी। वसंत राव निवृत्ति गीते यहां से जीती थीं। वहीं साल 2014 और साल 2019 में हुए दोनों ही विधानसभा चुनाव में देवयानी सुहास फरांदे ने भारतीय जनता पार्टी के लिए जीत हासिल की। 10 साल से इस सीट पर बीजेपी का ही दबदबा है। लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी को मिले अधिक वोट के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा के लिए इस बार इस सीट की राह आसान नहीं है। महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार को भी यहां फायदा हो सकता है, अब देखना यह होगा कि आखिरकार जनता किसे अपना विधायक चुनती है।
नासिक मध्य विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
नासिक मध्य विधानसभा सीट के लिए कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 14 हजार 223 है। SC (अनुसूचित जाति) वोटर की संख्या 40,630 अनुसूचित जनजाति (ST) वोटर की संख्या 20,174 मुस्लिम वोटर की संख्या 60,961 ग्रामीणों की संख्या शून्य फीसदी है। पूरी आबादी को शहरी आबादी घोषित किया गया है। कोई उम्मीदवार अगर आरक्षित श्रेणी के मतदाताओं को रिझाने में पूरी तरह से कामयाब हो जाता है तो उसकी जीत सुनिश्चित मानी जा सकती है। बीजेपी की तरफ से देवयानी हैट्रिक का प्रयास करेंगी, जबकि महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार भी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंकने वाले हैं, देखना यह होगा कि जनता किस पर अपना भरोसा जताती है।