महायुति (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महायुति में शामिल बीजेपी ने मंगलवार को अपनी तीसरी लिस्ट जारी की। इसमें मुंबई के तीन उम्मीदवारों का नाम शामिल है। बीजेपी तीसरी लिस्ट में घाटकोपर-पूर्व से पराग शाह और वर्सोवा से भारती लवेकर की उम्मीदवारी बरकार रखी गई है। जबकि बीजेपी के पुराने निष्ठावान संजय उपाध्याय को बोरीवली से उम्मीदवार दी गई है।
इसी तरह बीजेपी ने अपने एक अन्य नेता अमरजीत सिंह को आरपीआई (आठवले) के कोटे से विधानसभा का टिकट दिलवाया है। वह कलीना विधानसभा सीट से आरपीआई के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। वैसे उनका चुनाव चिन्ह कमल का फूल ही होगा।
इस तरह से बीजेपी की तीसरी लिस्ट जारी होने के बाद मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से 32 पर महायुति के उम्मीदवारों की घोषणा हो गई है। बोरीवली, वर्सोवा और घाटकोपर पूर्व सीट पर विवाद के कारण बीजेपी पहली दो लिस्टों में उम्मीदवार घोषित नहीं हो सके थे।
कुछ ऐसा ही हाल महायुति में शामिल बीजेपी की सहयोगी पार्टियों का भी है। महायुति में सीटें सीमित जबकि इच्छुक कई हैं। ऐसे में प्रारंभ में सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा से पार्टी में बगावत व भगदड़ मचने का डर पार्टी प्रमुखों को सता रहा था।
इस वजह से उम्मीदवारों की घोषणा चरणबद्ध ढंग से की गई है। जो सीटें बची हुई है, उनके बारे में अंदरखाने ये कहा जा रहा है सियासी दलों ने अपने उम्मीदवारों पर अंतिम निर्णय कर लिया है और संभावित उम्मीदवारों को ए-बी फॉर्म भी दे दिए गए हैं।
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सिर्फ बगावत के डर से उम्मीदवारों के नाम घोषित नहीं किए जा रहे हैं। बुधवार को उम्मीदवारी अर्ज दाखिल करने के आखिरी दिन ये सभी उम्मीदवार अपना पर्चा दाखिल करने पहुंच जाएंगे।
2019 में घाटकोपर-पूर्व के तत्कालीन विधायक प्रकाश मेहता का टिकट काटकर पराग शाह को उम्मीदवारी दी गई थी। तब प्रकाश मेहता ने कुछ नहीं कहा था, लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने एक बार फिर से उम्मीदवारी की मांग करके पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था। उन्होंने टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी की थी।
बीजेपी के इंटरनल सर्वे में पार्टी की वर्सोवा विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा विधायक भारती लवेकर की रिपोर्ट नेगेटिव आई। इसके बाद बीजेपी के अन्य नेताओं ने वर्सोवा सीट पर दावा ठोंक दिया था। इनमें से कुछ ने उम्मीदवारी नहीं मिलने पर बगावत की चेतावनी दी थी।
हालांकि, कई इच्छुक होने के कारण पार्टी ने लवेकर को एक बार फिर मौका देने का निर्णय लिया है। इसलिए तीसरी लिस्ट में लवेकर को उम्मीदवार घोषित किया गया है।
बात बोरीवली की करें तो क्षेत्र के बीजेपी के मौजूदा विधायक को 2019 में अनपेक्षित ढंग से पार्टी का टिकट मिल गया था। बोरीवली सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। इसलिए सुनील राणे आसानी से चुनाव जीत भी गए।
लेकिन, बाद में उन्होंने क्षेत्र में ध्यान नहीं दिया। इसका प्रतिबिंब बीजेपी के इंटरनल सर्वे में आया। पार्टी के स्थानीय पदाधिकारी और कार्यकर्ता खुल कर राणे का विरोध कर रहे थे। तो वहीं पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी सहित करीब दर्जन भर लोग बोरीवली सीट पर दावा ठोंक रहे थे। इसलिए बगावत की आशंका को देखते हुए यहां उम्मीदवारी घोषित करने में देरी की गई।
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संजय उपाध्याय बीजेपी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। पिछले 30 वर्षों से पार्टी में विभिन्न जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करनेवाले उपाध्याय को पार्टी ने 2019 में भी बोरीवली की सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन ऐन वक्त पर उपाध्याय की जगह सुनील राणे को उम्मीदवार बना दिया गया।
इसके बाद उपाध्याय को राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया गया, लेकिन दो बार हुए राज्य चुनावों में उनका नंबर नहीं लगा। लोकसभा चुनाव के बाद राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 विधायकों (विधान परिषद सदस्य) में उपाध्याय को मौका देने का आश्वासन पार्टी के वरिष्ठों ने दिया था। लेकिन बाद में लिस्ट में उनका नाम नहीं आया। लंबे इंतज़ार के बाद पार्टी ने सुरक्षित बोरिवली सीट की उम्मीदवारी देकर इनाम दिया है।