(डिजाइन फोटो)
बुलढाणा: महाराष्ट्र में चुनावी चिंगारी शोला बनकर सियासी समराग्नि में तब्दील होने को है। राजनीतिक रणकौशल के धनी इस समर में कूदने को बेताब दिखाई दे रहे हैं। सूबे के 288 मोर्चों पर होने वाले इस संग्राम में कौन सा सियासी दल कहां आग्नेयास्त्र का उपयोग करेगा? कौन इसके जवाब में वरुणास्त्र चलाएगा इसे लेकर रणनीति तैयार की जा रही है। 8 अक्टूबर को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव नजीते आने के बाद अब किसी भी क्षण राज्य में निर्वाचन आयोग विधानसभा चुनाव के लिए शंखनाद कर सकता है।
इस चुनावी जंग में हम विधानसभाओं का क्षेत्रवार विश्लेषण कर रहे हैं। जिसके जरिए यह पता लगाया जा सके कि कहां किस पार्टी या नेता का पलड़ा भारी है। इस कड़ी में आज बुलढाणा जिले की खामगांव विधानसभा सीट की बारी है। यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के पाले में जाती रहती है। 1999 से 2009 तक यह सीट कांग्रेस पास रही लेकिन 2014 में यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की। 2019 में बीजेपी इस सीट को रिटेन करने में कामयाब रही।
खामगांव विधानसभा सीट बुलढाणा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। राज्य बनने के बाद शुरूआत में यहां कांग्रेस का कब्जा रहा। 1978 में पहली बार पांडुरंग फुंडकर ने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर कांग्रेस के विजयरथ को रोका था। 1980 में बीजेपी ने जीत दर्ज की लेकिन 1985 में एक बार कांग्रेस ने खामगांव सीट पर वापसी की।
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1990 और 1995 भाजपा ने यहां से विजय प्राप्त की। लेकिन 1999 से 2009 तक कांग्रेस ने लगातार तीन जीत दर्ज कर हैट्रिक मारी। 1978 में कांग्रेस का पहली बार विजयरथ रोकने वाले पांडुरंग फुंडकर के बेटे आकाश फुंडकर को 2014 के विधानसभा चुनाव में खामगांव सीट से मैदान में उतारा और उन्होंने जीत दर्ज की। तब से आकाश फुंडकर यहां के विधायक हैं।
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खामगांव विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बता करें तो यहां ओबीसी वर्ग बहुल सीट हैं। यहां ओबीसी मतदाता चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। साथ ही 19 फीसदी दलित और 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में सभी जाति और वर्गाें को ध्यान में रखते हुए पार्टियां अपनी रणनीति बना सकती हैं।
खाामगांव विधानसभा सीट के इतिहास का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि यहां अब तक केवल बीजेपी और कांग्रेस का वर्चस्व रहा हैं। ऐसे में महायुति से बीजेपी और महाविकास आघाड़ी से कांग्रेस यहां से अपना उम्मीदवार उतार सकती है। पिछले दो चुनावों में जीत से बीजेपी के हौंसले बुलंद होंगे तो वहीं कांग्रेस भी इस सीट से वापसी करना चाहेगी। अब फैसला खामगांव की जनता में हाथ में है कि वह किसके हाथ सत्ता की चाबी सौंपती हैं।