कल्याण पश्चिम विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
ठाणे: महाराष्ट्र चुनाव में अब महज एक महीने से भी कम का वक्त बचा है। राजनीतिक धुरंधर पूरी तरह से चुनावी संग्राम में कूदने को तैयार हैं। सियासतदान जनता को रिझाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे। कोई घड़ियाली आंसू बहाएगा, तो कोई वादों का पिटारा खोलकर जनता को लुभाने का काम करेगा। लेकिन कौन सा दल किस सीट पर किसे लुभाने में कामयाब होगा इसका अंदाजा लगाने के लिए हम भी विधानसभा क्षेत्रवार विश्लेषण कर रहे हैं।
विधानसभा क्षेत्रवार विश्लेषण की हमारी गाड़ी कल्याण पश्चिम पहुंच चुकी है। कल्याण पश्चिम सीट ने अब तक तीन विधानसभा चुनाव देखे हैं। ठाणे जिले और भिवंडी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस सीट पर अब तक किसी भी दल या नेता को जनता ने दोबारा नहीं चुना है। 2009 में यहां एमएनएस ने कब्जा जमाया तो 2014 में जनता ने बीजेपी को चुना। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में यहां शिवसेना बाजी मारने में कामयाब रही।
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2009 के चुनाव में यहां राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना उम्मीदवार प्रकाश सुखदेव भोयर ने शिवसेना प्रत्याशी राजेन्द्र जयंत को करीब साढ़े 5 हजार वोटों से मात दे दी। इसके बाद 2014 के चुनाव में जनता ने नरेन्द्र बाबूराव पवार को जनादेश दिया। इस चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार विजय जगन्नाथ सालवी को 2 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वहीं, 2019 चुनाव में यहां शिवसेना प्रत्याशी विश्वनाथ आत्माराम भोयर ने नरेन्द्र बाबूराव पवार को मात दे दी। इसके पीछे कारण यह था कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के चलते यह सीट शिवसेना के हिस्से में चली गई। नरेन्द्र बाबूराव पवार को टिकट नहीं मिला तो उन्होने निर्दलीय ताल ठोंक दी।
वर्ष | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
2019 | विश्वनाथ आत्माराम भोयर | शिवसेना | 65486 |
2014 | नरेंद्र बाबूराव पवार | भाजपा | 54388 |
2009 | प्रकाश सुखदेव भोयर | मनसे | 41111 |
कल्याण पश्चिम विधानसभा सीट पर दलित मुस्लिम गठजोड़ किसी भी उम्मीदवार को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभाता है। 2019 चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 4 लाख 50 हजार वोटर्स में से 51 हजार के आस-पास मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा दूसरे नंबर पर यहां दलित वोटर्स आते हैं। उनकी संख्या लगभग 34 हजार है। आदिवासी वोटर्स भी 14 हजार के करीब है।
पिछले पांच साल में जिस तरह से यहां के राजनीतिक समीकरण सामने आ रहे हैं उस लिहाज से देखा जाए तो यहां कुछ कह पाना मुमकिन नहीं होगा। जबकि दूसरी तरफ यहां तीनों चुनावों के वोटिंग पैटर्न को देखें तो जनता ने हर बार अलग दल और नेता को जनादेश दिया है। ऐसे में इस चुनाव में यहां कांग्रेस या एनसीपी भी जीत दर्ज कर सकती है।
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