महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
मुंबई : कल यानी बुधवार 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा की 288 विधानसभा सीटों के लिए सिंगल फेज में ही मतदान होगा। पता हो कि, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में टूट के बाद इस बार कुल 158 दल चुनाव मैदान में हैं। वहीं इनमें 6 बड़ी पार्टियां दो गठबंधनों का हिस्सा बनकर इस बार चुनाव लड़ रही हैं।
इस बार के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुआई में शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की NCP महायुति का हिस्सा बनी हुई हैं। जबकि कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) यानी NCP(SP) महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बन चुकी हैं।
जानकारी दें कि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार बीते सोमवार को थम गया है। वहीं सुबे की सभी 288 विधानसभा सीट पर एक ही दिन मतदान होगा जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी। इस बार यहां चुनाव प्रचार के दौरान PM मोदी, अमित शाह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाद्रा और कई केंद्रीय मंत्रियों समेत प्रमुख नेताओं ने अपने-अपने दलों के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
वहीं BJP, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठबंधन ‘महायुति’, महिलाओं के लिए माझी लाडकी बहिन जैसी अपनी लोकप्रिय योजनाओं के दम पर सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद कर रहा है। इसके साथ ही BJP के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों को लेकर विपक्षी दलों ने महायुति पर धार्मिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का भी आरोप लगाया।
इसके साथ ही कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और राकांपा NCP(SP) के गठबंधन महा विकास आघाडी (MVA) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे की आलोचना की।
हालांकि खुद BJP के कुछ सहयोगियों ने हालांकि इन नारों का समर्थन नहीं किया। जहां अजित पवार ने खुद को इन नारों से अलग कर लिया। वहीं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नारों का मतलब स्पष्ट करने का प्रयास किया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।
इधर MVA ने इस बार जाति आधारित जनगणना, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके सत्तारूढ़ गठबंधन के विमर्श का मुकाबला किया। विपक्ष का लक्ष्य उन मतदाताओं से अपील करना था जो सरकार की तरफ से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
जानकारी दें कि साल 2019 के राज्य विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार उम्मीदवारों की संख्या में 28 % की वृद्धि हुई है। इस साल 4,136 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 3,239 थी। इन उम्मीदवारों में 2,086 निर्दलीय हैं। 150 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में बागी उम्मीदवार मैदान में हैं। ये बागी उम्मीदवार महायुति और एमवीए के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार करीब 29 % यानी 629 उम्मीदवार आपराधिक छवि के साथ हैं। इनमें से 412 पर हत्या, किडनैपिंग, बलात्कार जैसे गंभीर मामले भी दर्ज हैं। वहीं इनमें से 50 उम्मीदवार महिलाओं से जुड़े अपराधों के भी आरोपी हैं।
वहीं राज्य में इस बार पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 9,63,69,410 हो गई है, जो 2019 में 8,94,46,211 थी। इस बार के चुनाव में महाराष्ट्र में 1,00,186 मतदान केंद्र होंगे, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में 96,654 मतदान केंद्र थे। मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के कारण मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है। राज्य सरकार के करीब 6 लाख कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर तैनात होंगे। (एजेंसी इनपुट के साथ)