सांकेतिक तस्वीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
नागपुर: विधानसभा चुनाव के लिए आवेदन भरने की तारीख खत्म हो गई है। प्रचार का असली रंग 4 नवंबर के बाद आएगा। कई लोगों को पार्टी के एबी फॉर्म मिल गए हैं और आधिकारिक तौर पर घोषित उम्मीदवारों के प्रचार शुरू करने की संभावना है। दिवाली होने के कारण इस बार चुनावी रंग कुछ ज्यादा ही रंगत दिखाएगा। दिवाली के बाद ‘दिवाली मिलन’ का नया दौर देखने को मिल सकता है।
सबसे ज्यादा आयोजन झुग्गी-झोपड़ियों में देखने को मिल सकता है क्योंकि यहां के वोटरों पर उम्मीदवारों की नजर सबसे अधिक है। शहर में लगभग 426 झुग्गी-झोपड़ी हैं और 415 आधिकारिक बस्तियां हैं। इस क्षेत्र में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दिवाली मिलन जैसे कार्यक्रमों का सहारा उम्मीदवार लेने जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि उत्तर नागपुर में झुग्गियों की संख्या सबसे अधिक है और पश्चिम नागपुर दूसरे स्थान पर है।
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विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता पंजीकरण के बाद शहर में फिलहाल 23,65,998 मतदाता हैं। इनमें से लाखों मतदाता 426 झुग्गियों में रह रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद प्रत्याशियों का ध्यान सबसे पहले यहीं के मतदाताओं पर जाता है। इस साल भी दिवाली में चुनाव प्रचार शुरू होने जा रहा है। एलीट सेक्टर का भी दिवाली मिलन कार्यक्रम देखने को मिलेगा। व्यापारी और उद्यमियों के दिवाली मिलन कार्यक्रम भी इस बार काफी जोर-शोर से मनाने की संभावना जताई जा रही है। विभिन्न संगठनों की ओर से दिवाली मिलन आयोजित होते ही रहते हैं लेकिन इस बार इनका दायरा काफी व्यापक होने की जानकारी है।
विधानसभा क्षेत्र | झुग्गियां |
---|---|
पूर्व नागपुर | 54 |
पश्चिम नागपुर | 85 |
उत्तर नागपुर | 101 |
दक्षिण नागपुर | 50 |
मध्य नागपुर | 67 |
दक्षिण पश्चिम नागपुर | 68 |
मतदाता जागरूकता के कारण झुग्गी में रहने वाले नागरिक भी जागरूक बन गये हैं। यहां के मतदाता अब विभिन्न प्रलोभनों में पड़ने की बजाय अपने क्षेत्रों के विकास को महत्व देने लगे हैं। उनकी डिमांड अब अलग हो गई है। उत्तर नागपुर निर्वाचन क्षेत्र में शहर में झुग्गियों की संख्या 101 है जो सबसे अधिक है। पश्चिम नागपुर 85 झुग्गियों के साथ दूसरे स्थान पर है। इस क्षेत्र के मतदाताओं ने हमेशा नतीजों को प्रभावित किया है। इसके अलावा मध्य नागपुर में 67, पूर्वी नागपुर में 54, दक्षिण में 50 और दक्षिण पश्चिम में 68 झुग्गियां हैं। झुग्गी-झोपड़ी के मतदाता हमेशा से विभिन्न राजनीतिक दलों, स्वतंत्र उम्मीदवारों का ध्यान केंद्रित रहे हैं।
पिछले कई चुनावों में झुग्गी बस्तियों के मतदाताओं को तरह-तरह से लुभाया गया है। इसमें मतदाता फंसे भी हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां के मतदाताओं में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब यहां पर भी गट्ठे में वोट नहीं पड़ता है। कई प्रभावशाली लोग होने के कारण यहां के लोग अलग-अलग उम्मीदवारों को वोट देने लगे हैं। ऐेसे स्थानों के वोटर विकास के साथ-साथ धर्म और समाज को महत्व भी देने लगे हैं। क्षेत्र में काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि किसी भी उम्मीदवार की पार्टी का घोषणा पत्र अल्पकालिक लाभ की बजाय दीर्घकालिक लाभ की उनकी योजनाओं पर केंद्रित होता है।
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