BJP-JDU में अब 'बड़ा भाई' कौन? (फोटो- सोशल मीडिया)
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर एक नया समीकरण उभरकर सामने आया है। ‘बड़े और छोटे भाई’ की राजनीति अब खत्म होती दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के बीच पहली बार बराबर-बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला हुआ है। इस नए सीट बंटवारे ने बिहार की राजनीति में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अब NDA का असली मुखिया कौन होगा, और क्या इसका अंतिम फैसला चुनाव के नतीजे ही करेंगे?
इस बार का विधानसभा चुनाव सिर्फ सरकार बनाने के लिए नहीं, बल्कि गठबंधन के भीतर वर्चस्व स्थापित करने के लिए भी लड़ा जाएगा। जो भी पार्टी ज्यादा सीटें जीतकर आएगी, वही गठबंधन में अपनी शर्तों पर राजनीति करने की स्थिति में होगी। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजों में बीजेपी को 74 और जेडीयू को महज 43 सीटें ही मिली थीं। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को ही मिला था, लेकिन इस बार हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर जनता दल यूनाइटेड को दोबारा से राज्य में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आना है, तो उसे हर हाल में बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं, कई मौकों पर यह स्पष्ट कर चुका है कि चुनाव में चेहरा नीतीश कुमार ही हैं और सीटें चाहे कितनी भी आएं, मुख्यमंत्री वही बनेंगे। वहीं, विपक्षी दल राजद और कांग्रेस लगातार यह दावा कर रहे हैं कि चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी अपने वादे से मुकर जाएगी और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं करेगी।
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यह पहली बार नहीं है जब जेडीयू, बीजेपी के मुकाबले कम या बराबर सीटों पर लड़ रही हो। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू ने 16 जबकि बीजेपी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस पर जनता दल यूनाइटेड के नेता और प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि अब हम बड़े और छोटे भाई नहीं, बल्कि जुड़वां हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि हमारा चेहरा और परिणाम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। हालांकि, केसी त्यागी के इस दावे में कितना दम है, यह तो आने वाला वक्त और चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे, लेकिन इतना साफ है कि बिहार एनडीए की राह इस बार आसान नहीं है।