बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के मधुबनी जिले में स्थित खजौली विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास बताता है कि इस सीट पर जीत का परचम केवल उसी दल का लहराता है, जिसे जनता दल (यूनाइटेड) का अप्रत्यक्ष सहयोग प्राप्त होता है। खजौली विधानसभा सीट झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत है और 17 बार चुनाव हो चुके हैं। यह सीट मिथिला क्षेत्र के उपजाऊ मैदानी इलाकों में स्थित है, जहां कमला बलान और बछराज नदियाँ बहती हैं। इन नदियों के कारण यहाँ हर साल बाढ़ की समस्या पैदा हो जाती है, जो कि यहाँ का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है।
खजौली सीट पर सबसे ज्यादा छह बार कांग्रेस और चार बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है। इस सीट की खासियत राजनीतिक अस्थिरता रही है, जहाँ 1952 से लेकर 2010 तक आरक्षण का दर्जा भी बार-बार बदलता रहा।
2015 के चुनाव में जदयू के राजद के साथ जाने की वजह से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और राजद ने सीट आसानी से जीत ली। लेकिन 2020 के चुनाव में जदयू के एनडीए को समर्थन देने के बाद भाजपा ने फिर से वापसी की और राजद विधायक सीताराम यादव को 22,689 वोटों से हराया। इस बाते से यह स्पष्ट है कि जदयू ने इस सीट से भले ही कभी चुनाव न जीता हो, लेकिन इसके आधार वोट का हस्तांतरण ही जीत या हार सुनिश्चित करता है।
इस बार खजौली सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। एनडीए के बैनर चले भाजपा एक बार फिर जदयू के संगठनात्मक समर्थन और अपने पारंपरिक वोटों के सहारे जीत दोहराने की कोशिश करेगी। वहीं इंडिया गठबंधन के साथ राजद के लिए इस सीट पर जीत का परचम फहराना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन अगर वह जीत चाहता है तो उसे जातिगत समीकरण पर विशेष रणनीति बनानी पड़ेगी, जदयू के खेमे के कुछ वोट खींचने पड़ेंगे।
राजद को अगड़े वोट कम मिलते है। ये वोट परंपरागत रूप से भाजपा के साथ हैं और सीटों के बंटवारे और अल्पसंख्यक-यादव समीकरण को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
खजौली में कुल 3,14,426 वोटर हैं, जिनमें 1,64,535 पुरुष और 1,49,887 महिला मतदाता हैं।
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1. बाढ़ की समस्या: कमला बलान और बछराज नदियों से होने वाली क्षति को लेकर लोग नाराज हैं और स्थायी समर्थन चाहते हैं।
2. कृषि संकट: सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था न होना और मानसून पर अत्यधिक निर्भरता होने से खेती को नुकसान होता है।
3. रोजगार: ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण यहाँ पलायन की समस्या भी एक मुद्दा है। लोग यहां पर स्थानीय स्तर पर रोजगार की मांग कर रहे हैं।
2025 का चुनाव एक बार फिर यह साबित करेगा कि खजौली में जनता किस गठबंधन को बहुमत देती है, और जदयू का ‘साइलेंट समर्थन’ किस ओर जाता है।