कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजने ही वाला है। सियासी पार्टियां पूरी तरह से इस रण में कूदने के लिए तैयार हैं और सियासतदानों की अपने विरोधियों को मात देने की रणनीति भी तैयार है। इस बीच सूबे के डिप्टी सीएम और एनसीपी (अजित पवार) के मुखिया अजित पवार ने एक ऐसा दांव चला है जो महाविकास अघाड़ी को नुकसान पहुंचाए या न पहुंचाए महायुति के लिए घातक जरूर साबित हो सकता है।
दरअसल अजित पवार ने 10 फीसदी मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट देने का ऐलान किया है। अजित पवार ने बारामती में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एनसीपी की इस चुनावी रणनीति की घोषणा की है। अजित का ये दांव महाविकास अघाड़ी के साथ ही साथ महायुति को भी घाव दे सकता है। वो कैसे समझते हैं।
डिप्टी सीएम अजित पवार के विधानसभा में दस फीसदी मुस्लिम समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट देने के ऐलान से महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल एकदम गरमा गया है। चर्चाओं के शोरगुल से जो कुछ निकला है उसका लब्बोलुआब यह है कि अजित पवार का यह दांव महाराष्ट्र चुनाव में सेल्फ गोल साबित हो सकता है।
दरअसल, महायुति में शामिल बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को हिंदुत्ववादी पार्टियों के तौर पर जाना जाता है। ऐसे में उसी गठबंधन में शामिल एनसीपी एगर टिकट बंटवारे में मुस्लिमों को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात करेगी तो एनसीपी को हो सकता है इसका फायदा मिले। लेकिन बीजेपी-शिवसेना के समर्थकों में नाराजगी भी आ सकती है।
दूसरी तरफ अजित का यह दांव महाविकास अघाड़ी को नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि महाराष्ट्र में मुस्लिम वोटर्स का झुकाव हमेशा से कांग्रेस और एनसीपी की तरफ रहा है। अब एनसीपी में दो फाड़ हो चुकी है और अजित ने पहले मुस्लिमों के लिए ऐलान करते हुए उन्हें अपने पाले में करने का दांव भी चल दिया है। अगर यह दांव कामयाब रहा तो मुस्लिम वोटर एनसीपी (शरद) और कांग्रेस की तरफ से मुड़कर एनसीपी (अजित) का रुख कर सकता है।
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एक तरफ उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव आयोग हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव नतीजों के बाद कभी भी महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव का ऐलान कर सकता है। उसी तरह यह भी उम्मीद है कि यहां दोनों गठबंधन नवरात्रि के बाद सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर सकते हैं।