दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने अंतिम चरण के प्रचार में है जहां सभी राजनीतिक दल राज्यों के वोटर्स को साधने में लगे हुए हैं। वहीं बीजेपी ने भी अपने प्रमुख नेताओं को चुनाव प्रचार के अभियान में उतार दिया है। जो घरों में जाकर कैंपेन करने के अलावा कार्यकर्ताओं से साथ बैठक भी कर रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार की आखिरी तारीख 3 फरवरी है। जिसके लिए बीजेपी ने चुनाव अभियान तेज कर दिया है। राज्य में विभिन्न समुदायों को आकर्षित करने के लिए पार्टी ने शीर्ष नेताओं को तैनात किया है। जिससे वोटरों को लुभाया जा सके और प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ में कोई कसर न रहे।
बीजेपी नेताओं ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर फोकस किया है जहां पर पूर्वांचली, सिख, मराठी, बंगाली और अन्य समुदाय की आबादी अधिक है। साथ ही झुग्गी झोपड़ी और असंगठित क्षेत्र में रहने वाले श्रमिकों तक भी पार्ची पहुंच रही है। बीजेपी का उद्देश्य है कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राज्य में करीब 200 रैलियां, रोड शो और प्रचार कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और असम जैसे बीजेपी शासित प्रदेशों के सीएम को दिल्ली चुनाव में प्रचार करने के लिए कहा है। पूर्वांचल वोटरों को आकर्षित करने के लिए पार्टी ने मनोज तिवारी, रवि किशन, बिहार के उप सीएम सम्राट चौधरी जैसे नेताओं को प्रचार अभियान चलाने की जिम्मेदारी दी है।
दिल्ली में जाट वोटरों को लुभाने के लिए पार्टी ने हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं को तैनात किया है। सीएम नायब सिंह सैनी, राज्यसभा सांसद किरण चौधरी, मनोहर लाल खट्टर और अन्य नेताओं को दिल्ली मैराथन रैलियों को संबोधित करने की जिम्मेदारी दी गई है। बता दें कि दिल्ली में जाट वोटरों की संख्या करीब 20 प्रतिशत है।
बीजेपी ने मराठी वोटर्स के लिए महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली में प्रचार करने की जिम्मेदारी दी है। वहीं बंगाली वोटरों के लिए भी भाजपा ने बंगाल से नेताओं को दिल्ली तैनात किया है। ऐसे में दिल्ली चुनाव में इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की यह रणनीति चुनावी अभियान के आखिरी दिनों में पार्टी को कितनी बढ़त दिला पाती है।